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पूर्णिया में परिवार के पांच सदस्यों की हत्या: एक भयावह घटना का खुलासा

पूर्णिया जिले के रानीपतरा टेटगामा गांव में एक भयावह घटना में एक ही परिवार के पांच सदस्यों को जिंदा जलाकर मार दिया गया। यह जघन्य अपराध तब सामने आया जब एक 16 वर्षीय लड़के ने पुलिस को सूचना दी। जानें इस घटना के पीछे का कारण और पुलिस की कार्रवाई के बारे में।
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खौफनाक हत्या की घटना

पूर्णिया जिले के एक छोटे से गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को चौंका दिया है। एक ही परिवार के पांच सदस्यों को जिंदा जलाकर मार दिया गया और उनके शवों को बोरे में बंद करके तालाब में फेंक दिया गया। यह जघन्य अपराध तब उजागर हुआ जब एक 16 वर्षीय लड़के ने पुलिस को सूचना दी। यदि यह बच्चा आगे नहीं आता, तो शायद यह मामला कई दिनों तक अनसुलझा रहता।


यह घटना मुफस्सिल थाना क्षेत्र के रानीपतरा टेटगामा गांव की है, जहां एक महादलित परिवार के पांच सदस्यों को बेरहमी से खत्म कर दिया गया। पूरे गांव ने इस कायराना हरकत पर चुप्पी साध ली थी, और घटना के बाद गांव में सन्नाटा छा गया था। पुलिस को इस हत्याकांड की जानकारी लगभग 10 घंटे बाद मिली।


एक साहसी कदम उठाते हुए, परिवार के एक सदस्य, 16 वर्षीय सोनू कुमार ने पुलिस को सुबह फोन करके पूरी घटना की जानकारी दी। इस सूचना के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और चार मुख्य अभियुक्तों के नाम सामने आए। पुलिस ने गांव के नकुल उरांव को हिरासत में लिया, जिनकी निशानदेही पर ट्रैक्टर मालिक सन्नाउल्लाह को भी गिरफ्तार किया गया। दोनों से पूछताछ के बाद पुलिस को वह स्थान मिला जहां शवों को छुपाया गया था।


ग्रामीणों की मदद से पांचों शवों को बरामद किया गया और पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। इस घटना ने न केवल गांव के निवासियों को बल्कि पूरे जिले को हिला कर रख दिया।


हत्या का कारण

मृतकों के बारे में बताया जा रहा है कि गांव के कुछ लोग सीता देवी को डायन मानते थे। उनका आरोप था कि सीता देवी ने गांव में चार-पांच बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार थी। इसी शक के कारण सीता देवी और उनके परिवार को पिछले कुछ महीनों से प्रताड़ित किया जा रहा था।


रविवार की रात को सीता देवी के घर पर गांव के 40 से 50 लोग एकत्र हुए और उन्होंने गाली-गलौज करते हुए पूरे परिवार को पीटना शुरू कर दिया। बाद में, उन्होंने पेट्रोल छिड़ककर उन पांचों को जिंदा जलाने का कायराना कदम उठाया।


वह रात, वह दर्दनाक मंजर गांव वालों ने अधजले शवों को बोरे में बंद किया और फिर उन्हें घिसरिया बहियार के जलकुम्भी से भरे गड्ढे में फेंक दिया। इसके बाद, गांव के सभी लोग मौके से फरार हो गए और घटना के बाद पूरा गांव खाली पड़ा रहा। पुलिस की जांच अब भी जारी है, लेकिन इस घटना ने गांव के लिए एक गहरी कलंक की छाप छोड़ दी है।