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प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व: आत्मनिर्भर भारत की ओर एक नई यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उनके द्वारा लागू की गई जनकल्याणकारी योजनाएं, जैसे स्वच्छ भारत मिशन और उज्ज्वला योजना, गरीबों और वंचितों के जीवन में सुधार लाने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। मोदी की जीरो टॉलरेंस नीति ने आतंकवाद के खिलाफ एक नई दिशा दी है। जानें कैसे मोदी का दृष्टिकोण देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है।
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प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व: आत्मनिर्भर भारत की ओर एक नई यात्रा

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में, हमारा देश अब विकसित भारत की ओर बढ़ रहा है, जिसकी नींव पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा स्थापित अंत्योदय और एकात्म मानववाद पर आधारित है। पिछले दस वर्षों में, भारत ने मानवीय जीवन के हर पहलू में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखे हैं, जिससे 140 करोड़ नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है। मुझे याद है कि 2014 में, मोदी ने सेंट्रल हॉल में कहा था कि उनकी सरकार गरीबों, किसानों, पिछड़ों, वंचितों, युवाओं और महिलाओं की सरकार है।

यह केवल एक नारा नहीं था, बल्कि मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं का स्पष्ट संकेत था। न्यूनतम शासन और अधिकतम प्रशासन के सिद्धांत पर चलते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों के जीवन को सरल बनाने के लिए कई आर्थिक सुधार किए हैं। जीएसटी के लागू होने के बाद, नई पीढ़ी की आवश्यकताओं और गरीब तथा मध्यम वर्ग की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए जो बदलाव किए गए हैं, वे अर्थव्यवस्था में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देते हैं। मोदी के पहले कार्यकाल से लेकर अब तक, केंद्र सरकार के हर निर्णय में अंत्योदय और लोक कल्याण की स्पष्टता देखी जा सकती है।

स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, जनधन योजना, आयुष्मान भारत, किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, पीएम जनमन योजना, जल जीवन मिशन जैसी कई जनकल्याणकारी योजनाओं के प्राथमिक लाभार्थी गरीब, किसान, अनुसूचित जाति और जनजातियों के लोग हैं, जिन्हें कांग्रेस पार्टी ने पिछले सात दशकों से केवल वोट बैंक के रूप में देखा। वंशवाद और पार्टटाइम राजनीति के कल्चर को समाप्त करने वाले प्रधानमंत्री मोदी पर लोगों का विश्वास लगातार बढ़ रहा है, जो उनकी राजनीतिक और वैचारिक प्रतिबद्धता का परिणाम है।

एक समय था जब देश में आतंकवादी घटनाएं आम थीं, लेकिन मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई। पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी घटना के बाद ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने अदम्य साहस दिखाते हुए आतंकियों के ठिकानों को नष्ट किया। इससे आतंकवादियों को दोबारा ऐसी हरकत करने से पहले कई बार सोचना पड़ेगा। पीएम मोदी, लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की तरह, माओवाद को समाप्त करने के लिए भी प्रयासरत हैं।

यह सब संभव हो रहा है क्योंकि देश का नेतृत्व एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में है, जिसके पास नीति और नीयत दोनों की स्पष्टता है। भारतीय राजनीति में ऐसे व्यक्तित्व बिरले ही मिलते हैं, जिन्होंने देश की जनाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए राजनीतिक लाभ-हानि को कभी नहीं देखा। जम्मू-कश्मीर के लिए बलिदान देने वाले श्रद्धेय श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को पूरा करने का श्रेय यदि किसी को जाता है, तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। अनुच्छेद 370 और 35-ए से मुक्ति के बाद, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब विकास की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं।