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प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर रेलवे परियोजना का उद्घाटन किया: 141 साल पुराना सपना हुआ साकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर रेलवे परियोजना का उद्घाटन किया, जो 141 साल पुराना सपना है। यह परियोजना महाराजा प्रताप सिंह के समय से शुरू हुई थी और कई चुनौतियों का सामना करते हुए आज साकार हुई है। जानें इस परियोजना के इतिहास, महत्व और इसके द्वारा जम्मू-कश्मीर में यात्रा और कनेक्टिविटी में कैसे सुधार होगा।
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प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर रेलवे परियोजना का उद्घाटन किया: 141 साल पुराना सपना हुआ साकार

महाराजा प्रताप सिंह का सपना

1884 में, जम्मू-कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह ने ब्रिटिश सरकार को एक पत्र भेजकर राज्य को भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ने का प्रस्ताव रखा था। यह सपना विभाजन और अन्य कारणों से अधूरा रह गया। लेकिन 141 वर्षों बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना का उद्घाटन कर उस सपने को साकार किया।


कश्मीर को रेल से जोड़ने की योजना

महाराजा प्रताप सिंह ने 1890 के दशक की शुरुआत में कश्मीर घाटी तक रेल मार्ग के लिए ब्रिटिश इंजीनियरों को सर्वेक्षण करने के लिए नियुक्त किया। उन्होंने तीन मार्गों का प्रस्ताव रखा: एबटाबाद से श्रीनगर, जो कभी नहीं बना, जम्मू से श्रीनगर विद्युत चालित मार्ग, और जम्मू से सियालकोट मार्ग, जो विभाजन के बाद बंद हो गया।


जम्मू-उधमपुर-श्रीनगर रेलवे परियोजना का पुनरुद्धार

यह विचार लगभग नौ दशक बाद पुनर्जीवित हुआ, जब इंदिरा गांधी ने 1983 में जम्मू-उधमपुर-श्रीनगर रेलवे लाइन की आधारशिला रखी। तब तक जम्मू लुधियाना और पठानकोट के माध्यम से भारतीय रेलवे से फिर से जुड़ चुका था। इस परियोजना की अनुमानित लागत 50 करोड़ रुपये थी, लेकिन 13 वर्षों में केवल 11 किलोमीटर रेल लाइन का निर्माण हो सका।


लागत में वृद्धि

इसके बाद, प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और आईके गुजराल के कार्यकाल में उधमपुर-कटरा-बारामुल्ला रेलवे परियोजना शुरू की गई। इसका निर्माण 1997 में शुरू हुआ, लेकिन भूगर्भीय और मौसम संबंधी चुनौतियों के कारण इसमें देरी हुई। 2002 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया।


उधमपुर कटरा सेक्शन का उद्घाटन

जुलाई 2014 में उधमपुर-कटरा खंड का उद्घाटन हुआ, जिससे वैष्णो देवी तीर्थयात्रियों को सीधी रेल पहुंच मिली। अगस्त 2023 तक बनिहाल-संगलदान खंड का उद्घाटन होगा, और 2024 तक कटरा-संगलदान खंड का अंतिम खंड पूरा होगा।


इंजीनियरिंग की उपलब्धियां

USBRL परियोजना में 36 सुरंगें और 943 पुल हैं, जिनमें चेनाब ब्रिज और अंजी खड्ड ब्रिज प्रमुख हैं। चेनाब ब्रिज नदी तल से 359 मीटर ऊंचा है, जो दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है।


भूगर्भीय और सुरक्षा चुनौतियों का समाधान

इस परियोजना में कई भूगर्भीय और सुरक्षा संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सुरंगों की खुदाई के दौरान पानी का रिसाव और भूस्खलन जैसी समस्याओं का समाधान करने के लिए भारतीय रेलवे ने 'हिमालयन टनलिंग मेथड' अपनाई।


विकास और कनेक्टिविटी में वृद्धि

इस रेल लिंक के उद्घाटन से जम्मू और कश्मीर के बीच यात्रा समय में कमी आई है। अब श्रीनगर और जम्मू के बीच यात्रा समय लगभग तीन से तीन और आधे घंटे तक सीमित हो गया है।


राष्ट्रीय एकता का प्रतीक

USBRL परियोजना भारत की राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। यह जम्मू-कश्मीर को शेष भारत से जोड़ने का कार्य करती है, जिससे क्षेत्रीय असमानताओं को कम किया जा सकेगा।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "यह कार्यक्रम भारत की एकता और दृढ़ इच्छाशक्ति का भव्य उत्सव है। माता वैष्णो देवी के आशीर्वाद से कश्मीर अब भारत के विशाल रेलवे नेटवर्क से जुड़ गया है।"