प्रयागराज में सरकारी ज़मीनों पर अवैध कब्जे की समस्या: विभागीय तालमेल की कमी
प्रयागराज में सरकारी ज़मीनों पर कब्जा
प्रयागराज में सरकारी ज़मीनों को अवैध कब्जे से मुक्त कराने की कोशिशें विभागीय तालमेल की कमी के कारण बाधित हो रही हैं। स्थिति इतनी जटिल हो गई है कि जब तहसील ने पंजीकरण विभाग को सरकारी ज़मीनों का विवरण सौंपा, तब भी कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली।शहर के विभिन्न क्षेत्रों में 'राजकीय आस्थान' की ज़मीनें लंबे समय से कब्जे में हैं। इनमें से कई भूखंडों पर रजिस्ट्री कराकर निर्माण कार्य भी किया गया है, और लोग वहां निवास कर रहे हैं। यह मामला तब और उजागर हुआ जब गोविंदपुर क्षेत्र से संबंधित एक शिकायत तत्कालीन ज़िलाधिकारी की जनसुनवाई में आई। इसके बाद अन्य क्षेत्रों से भी शिकायतें प्राप्त होने लगीं।
सदर के एसडीएम अभिषेक कुमार सिंह ने पंजीकरण विभाग के एआईजी स्टांप को इन शिकायतों का पूरा विवरण भेजा, जिसमें भूखंडों की गाटा संख्या भी शामिल थी। उन्होंने यह भी पूछा कि किन ज़मीनों की रजिस्ट्री की गई है और किसके नाम पर। हालांकि, अब तक कोई उत्तर नहीं मिला है। अधिकारियों का कहना है कि जब तक पंजीकरण कार्यालय से स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती, तब तक कार्रवाई करना संभव नहीं है।
शहर के गोविंदपुर, शिवकुटी, सलोरी, सिविल लाइंस और राजापुर जैसे क्षेत्रों में सरकारी ज़मीनों पर कब्जा हो चुका है। इन इलाकों में बड़े प्लॉटों पर पहले रजिस्ट्री कराई गई, फिर मकान बनाए गए, और अब वहां लोग निवास कर रहे हैं, जिससे सरकारी भूमि की पहचान धुंधली पड़ गई है।
यह मामला दर्शाता है कि सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए केवल आदेश और अभियान पर्याप्त नहीं हैं। जब तक संबंधित विभागों के बीच स्पष्ट संवाद और त्वरित कार्रवाई नहीं होती, तब तक ऐसे कब्जे बढ़ते रहेंगे।