Newzfatafatlogo

प्रशांत किशोर का अनोखा राजनीतिक कदम: 90% आय दान करेंगे

प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी 'जन सुराज' के लिए एक अनोखा कदम उठाते हुए अपनी कुल आय का 90 प्रतिशत दान करने की घोषणा की है। वे 15 जनवरी 2026 से 'बिहार नवनिर्माण संकल्प अभियान' शुरू करेंगे, जिसका उद्देश्य लोगों में जागरूकता बढ़ाना और सरकारी वादों को पूरा कराना है। यह कदम बिहार की राजनीति में पारदर्शिता और त्याग का नया उदाहरण पेश करता है। जानें इस अभियान के बारे में और क्या है इसका महत्व।
 | 
प्रशांत किशोर का अनोखा राजनीतिक कदम: 90% आय दान करेंगे

बिहार की राजनीति में नया मोड़


पटना: बिहार की राजनीतिक परिदृश्य में एक नया अध्याय शुरू हो रहा है। चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी 'जन सुराज' के लिए एक ऐसा ऐलान किया है जो भारतीय राजनीति में अनोखा है। उन्होंने कहा है कि वह अगले पांच वर्षों में अपनी कुल आय का 90 प्रतिशत हिस्सा जन सुराज को दान करेंगे।


इसके अलावा, पिछले 20 वर्षों में अर्जित संपत्ति में से केवल एक घर अपने पास रखेंगे और बाकी सब कुछ जन सुराज अभियान को समर्पित करेंगे। प्रशांत किशोर ने महात्मा गांधी से प्रेरणा लेते हुए एक नया अभियान शुरू करने की बात कही है।


‘बिहार नवनिर्माण संकल्प अभियान’ की शुरुआत

15 जनवरी से होगा अभियान का आगाज


प्रशांत किशोर ने जानकारी दी कि 15 जनवरी 2026 से वे बिहार के सभी जिलों, प्रखंडों और पंचायतों में जाएंगे। उनका उद्देश्य राज्य के 1 लाख 18 हजार वार्डों में जाकर लोगों से सीधा संवाद करना है। इस अभियान का नाम 'बिहार नवनिर्माण संकल्प अभियान' रखा गया है।


अभियान के उद्देश्य

मुख्य उद्देश्य दोहरा



  • पिछले वर्षों में विभिन्न सरकारों द्वारा किए गए वादों को पूरा कराने के लिए जन दबाव बनाना।

  • बिहार के लोगों में नई चेतना जगाना ताकि वे अपने राज्य के पुनर्निर्माण में सक्रिय भागीदार बनें।


प्रशांत किशोर का मानना है कि बिहार की समस्याएं केवल नेताओं की नहीं, बल्कि जनता की निष्क्रियता की भी हैं। वे चाहते हैं कि लोग केवल वोट डालने तक सीमित न रहें, बल्कि अपने अधिकारों के लिए खुद लड़ें।


राजनीति में नई पारदर्शिता

त्याग और पारदर्शिता का उदाहरण


आज के समय में जब राजनीति को धन कमाने का साधन माना जाता है, प्रशांत किशोर ने एक अलग दिशा में कदम बढ़ाया है। उन्होंने न केवल अपनी संपत्ति दान करने का निर्णय लिया है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि जन सुराज पार्टी किसी बड़े उद्योगपति या कॉरपोरेट हाउस की कठपुतली न बने। यह पार्टी पूरी तरह से जनता के चंदे और कार्यकर्ताओं के त्याग पर निर्भर करेगी।


यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार में अधिकांश राजनीतिक दल जाति के नाम पर या बड़े पूंजीपतियों के समर्थन से चलते रहे हैं। जन सुराज एक ऐसा प्रयोग है जो पूरी तरह स्वतंत्र और जन-वित्त पोषित होने का दावा कर रहा है।