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फ्रांस में सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन, इमैनुएल मैक्रों की इस्तीफे की मांग

फ्रांस में एक लाख से अधिक लोगों ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया है। इस आंदोलन की शुरुआत हाल ही में हुए राजनीतिक संकट के बाद हुई, जब प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू ने संसद में विश्वास मत खो दिया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार ने खर्चों में कटौती की योजना बनाई है, जिसमें पेंशन रोकना और सार्वजनिक छुट्टियों को घटाना शामिल है। जानें इस संकट के पीछे की पूरी कहानी और मैक्रों की स्थिति।
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फ्रांस में सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन, इमैनुएल मैक्रों की इस्तीफे की मांग

फ्रांस में विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत

नेपाल के बाद अब फ्रांस में भी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। एक लाख से अधिक लोग फ्रांस की सड़कों पर उतर आए हैं, जिन्हें नियंत्रित करने के लिए सरकार ने 80,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया है। दिलचस्प यह है कि नेपाल में वामपंथी सरकार का तख्तापलट हुआ, जबकि फ्रांस में लोग वामपंथी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का तख्तापलट करना चाहते हैं। मैक्रों को इस स्थिति का पूर्वाभास था, इसलिए उन्होंने अपनी छवि को सुधारने के लिए बार-बार पीएम मोदी से संपर्क किया।


प्रदर्शन का कारण

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के इस्तीफे की मांग को लेकर एक लाख से ज्यादा लोग सड़कों पर उतर आए हैं। फ्रांस के गृह मंत्री ब्रूनो रेतेयो ने प्रदर्शनकारियों पर विद्रोह का माहौल बनाने का आरोप लगाया है। लेफ्ट पार्टियों ने इस प्रदर्शन का आह्वान किया है, जिसे 'Block Everything' नाम दिया गया है। यह आंदोलन पिछले हफ्ते फ्रांस में हुए राजनीतिक संकट के बाद शुरू हुआ, जब प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू ने संसद में विश्वास मत खो दिया। उन्होंने खर्चों में कटौती की योजना पेश की थी, जिसमें पेंशन रोकना और सार्वजनिक छुट्टियों को घटाना शामिल था।


पीएम मोदी से संपर्क

यूक्रेन युद्ध के बीच, मैक्रों लगातार सक्रिय हैं। वे पीएम मोदी और अन्य यूरोपीय देशों को यूक्रेन के हालात के बारे में अपडेट दे रहे हैं, ताकि उनकी लोकप्रियता फिर से बढ़ सके। प्रधानमंत्री बायरू के हारने से दो दिन पहले, मैक्रों ने पीएम मोदी से बात की थी। वे विशेष रूप से पीएम मोदी के साथ संपर्क में हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि फ्रांस की अर्थव्यवस्था को इस समय केवल भारत ही बचा सकता है। पिछले कुछ हफ्तों में, मैक्रों ने पीएम मोदी से व्यापार और यूक्रेन डील पर चर्चा की है।


बजट की चुनौतियाँ

फ्रांस में हमेशा से हांग पार्लियामेंट की स्थिति रही है, और बजट अक्सर राजनीतिक टकराव का कारण बनता है। इस बार भी बजट ने इमैनुएल मैक्रों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आंदोलन की जड़ें पूर्व पीएम बायरू द्वारा जुलाई में पेश किए गए कठोर बजट में हैं, जिसमें 43 अरब यूरो की कमी को पूरा करने के लिए सार्वजनिक छुट्टियों को खत्म करने, पेंशन और कल्याणकारी भुगतान रोकने की योजना शामिल थी।