बकरियां चराने वाले का बेटा बना IPS अफसर: बिरुदेव की प्रेरणादायक कहानी

बिरुदेव सिद्धाप्पा ढोणे की सफलता की कहानी
कोल्हापुर जिले के कागल तहसील के यमगे गांव में एक गरीब धनगढ़ परिवार में जन्मे बिरुदेव सिद्धाप्पा ढोणे ने UPSC की कठिन परीक्षा को पहले ही प्रयास में पास कर लिया। उन्होंने 2024 में परीक्षा दी और 551वीं रैंक हासिल की, यह साबित करते हुए कि सच्ची मेहनत और जुनून से कोई भी सपना साकार हो सकता है।
बकरियां चराने से IPS बनने तक का सफर
बिरुदेव का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। बचपन में, वे खंभे पर कंबल टांगकर, सिर पर गांधी टोपी और पैरों में भारी धनगढ़ी चप्पलें पहनकर बकरियां चराते थे। उनके पिता, सिद्धाप्पा ढोणे, बकरियां चराकर परिवार का भरण-पोषण करते थे, जबकि उनकी मां अनपढ़ थीं। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद, उनके माता-पिता ने कभी भी उनके हौसले को कम नहीं होने दिया।
IPS बनने की प्रेरणा
बिरुदेव का सफर एक छोटे से वाकये से शुरू हुआ। एक दिन उनका मोबाइल फोन खो गया और जब वे पुलिस स्टेशन गए, तो उन्हें उचित मदद नहीं मिली। इस अपमानजनक अनुभव ने उनके मन में IPS बनने की इच्छा को जन्म दिया। उन्होंने ठान लिया कि एक दिन वे खुद पुलिस अफसर बनेंगे।
दिल्ली में कठिनाईयों का सामना
दिल्ली में रहकर बिरुदेव ने कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई की। जबकि अन्य छात्र सुविधाजनक कोचिंग संस्थानों में तैयारी कर रहे थे, बिरुदेव ने सीमित संसाधनों में रहकर रोजाना 22 घंटे पढ़ाई की। उनके पिता खेतों में मेहनत कर 10 से 12 हजार रुपये प्रति माह भेजते थे, जिससे उनका गुजारा होता था।
शैक्षणिक उपलब्धियां
बिरुदेव हमेशा से पढ़ाई में अव्वल रहे हैं। उन्होंने दसवीं और बारहवीं की परीक्षा कागल तहसील के मुरगुड केंद्र में टॉप की। इसके बाद, उन्होंने पुणे के सिओईपी इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
परिवार का जश्न
जब UPSC का परिणाम आया, तो उनके मामा के गांव में एक दोस्त दौड़ता हुआ आया और चिल्लाया—“बिरुदेव, तू पास झाला रे!” यह सुनते ही उनके माता-पिता की आंखों में आंसू आ गए और गांव में जश्न का माहौल बन गया। अनपढ़ माता-पिता को इतना ही समझ में आया कि अब उनका बेटा 'साहब' बन गया है।