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बच्चों की मदद के लिए आगे आए जनप्रतिनिधि, पिता का अंतिम संस्कार कराया

महाराजगंज जिले में तीन छोटे बच्चों ने अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए मदद मांगी, जब कोई रिश्तेदार नहीं आया। उनकी दयनीय स्थिति को देखकर दो जनप्रतिनिधियों ने आगे बढ़कर उनकी सहायता की और अंतिम संस्कार की व्यवस्था की। यह घटना समाज में संवेदनशीलता की कमी को उजागर करती है। जानें पूरी कहानी में क्या हुआ और कैसे बच्चों को मदद मिली।
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बच्चों की मदद के लिए आगे आए जनप्रतिनिधि, पिता का अंतिम संस्कार कराया

महाराजगंज में बच्चों की दयनीय स्थिति

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। नेपाल की सीमा से सटे नौतनवा कस्बे के राजेंद्र नगर में एक परिवार के तीन छोटे बच्चे उस समय संकट में आ गए जब उनके पिता की लंबी बीमारी के बाद मृत्यु हो गई। बच्चों ने अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए रिश्तेदारों का इंतजार किया, लेकिन जब कोई नहीं आया, तो उन्होंने पड़ोसियों से मदद मांगी। दुर्भाग्यवश, किसी ने भी उनकी सहायता नहीं की। अंततः, उन्होंने अपने पिता के शव को ठेले पर रखकर शमशान घाट की ओर बढ़ने का निर्णय लिया।

हालांकि, कई प्रयासों के बावजूद, वे अपने पिता का अंतिम संस्कार नहीं कर सके। जब बच्चे पूरी तरह से निराश हो गए, तब उनकी स्थिति दो जनप्रतिनिधियों तक पहुंची। उन्होंने मौके पर पहुंचकर बच्चों की मदद की और अंतिम संस्कार की व्यवस्था की।

इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे लोग दुखी हो रहे हैं। मृतक लव कुमार पटवा के बड़े बेटे राजवीर की उम्र 14 वर्ष और छोटे बेटे देवराज की उम्र 10 वर्ष है, जबकि उनकी एक बेटी भी है। उनकी मां की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी, और परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। पिता की मृत्यु के बाद, बच्चों का कोई सहारा नहीं बचा। उनके पास अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी का भी इंतजाम नहीं था।

बच्चों ने सोचा कि इस कठिन समय में कोई रिश्तेदार मदद के लिए आएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पड़ोसियों से भी कोई सहायता नहीं मिली। इस स्थिति में, बच्चों ने अपने पिता के शव को दफनाने या जलाने का विचार किया, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके। अंत में, उन्होंने थोड़ी हिम्मत जुटाई और पिता के शव को ठेले पर रखकर छपवा चौराहे पर खड़े हो गए। बच्चे अपने पिता की मृत्यु और अपनी बेबसी के कारण रो रहे थे।

इसी बीच, बिस्मिल नगर के सभासद प्रतिनिधि राशिद कुरैशी और राहुल नगर के सभासद वारिस कुरैशी वहां पहुंचे। उन्होंने बच्चों को सांत्वना दी और उनके पिता के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों का इंतजाम किया। वे खुद बच्चों के साथ शमशान घाट गए और अंतिम संस्कार सम्पन्न कराया।