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बच्चों की शर्मीलापन दूर करने के लिए 4 महत्वपूर्ण पेरेंटिंग टिप्स

क्या आपके बच्चे शर्मीले हैं? जानें कि माता-पिता की कौन सी चार आदतें बच्चों को शर्मीला बना सकती हैं और उन्हें कैसे सुधारें। विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों की तुलना, बार-बार डांटना, प्रोत्साहन की कमी और बच्चों के सामने झगड़ना जैसी आदतें उनके आत्मविश्वास को प्रभावित करती हैं। इस लेख में हम इन गलतियों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और बताएंगे कि कैसे माता-पिता अपने बच्चों को आत्मविश्वासी बना सकते हैं।
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बच्चों की शर्मीलापन दूर करने के लिए 4 महत्वपूर्ण पेरेंटिंग टिप्स

बच्चों के शर्मीलेपन के कारण और समाधान

पेरेंटिंग टिप्स: बच्चों को शर्मीला बनाने वाली 4 गलतियाँ! नई दिल्ली: कई बच्चे अपने साथियों के बीच घुलने-मिलने में संकोच करते हैं और शर्मीले बन जाते हैं।


क्या आपने कभी सोचा है कि बच्चे ऐसे क्यों बनते हैं? क्या यह उनकी गलती है या माता-पिता की कुछ आदतें इसके लिए जिम्मेदार हैं? विशेषज्ञों और अनुसंधान के अनुसार, यदि माता-पिता अपनी चार आदतों में सुधार करें, तो बच्चे कभी भी शर्मीले नहीं बनेंगे। आइए जानते हैं, वे चार गलतियाँ कौन सी हैं, जिन्हें पेरेंट्स को तुरंत सुधारना चाहिए।


दूसरों से तुलना करना

बच्चों की तुलना किसी अन्य बच्चे से करना सबसे बड़ी गलती है। "वो बच्चा तो इतना अच्छा है, तुम क्यों नहीं?" या "उसके सामने तुम कुछ नहीं हो" जैसी बातें बच्चों के आत्मविश्वास को तोड़ देती हैं। इससे बच्चा खुद को कमतर समझने लगता है, जिससे उसका व्यवहार शर्मीला हो जाता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बच्चों की तुलना करने से बचें और उनकी विशेषताओं को प्रोत्साहित करें।


हर बात पर डांटना

बच्चों के साथ सख्ती बरतना ठीक है, लेकिन हर छोटी-बड़ी बात पर डांटना या सजा देना उचित नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार डांटने से बच्चे सच बोलने या अपनी भावनाएं व्यक्त करने से डरने लगते हैं। यह डर धीरे-धीरे उनके व्यवहार का हिस्सा बन जाता है और वे शर्मीले हो जाते हैं। बच्चों को प्यार और समझदारी से गलतियों को सुधारने का अवसर दें।


प्रोत्साहन की कमी

कई माता-पिता बच्चों की गलतियों पर तो डांटते हैं, लेकिन अच्छे काम करने पर उनकी सराहना करना भूल जाते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि बच्चों की तारीफ करना उनके लिए संजीवनी की तरह होता है। जब माता-पिता उनकी सराहना करते हैं, तो बच्चे और बेहतर करने की कोशिश करते हैं। यह आदत उनके आत्मविश्वास को बढ़ाती है और शर्मीलापन दूर करती है।


बच्चों के सामने झगड़ना

कई बार माता-पिता बच्चों के सामने ही आपस में बहस या झगड़ा करते हैं, यह सोचकर कि बच्चा छोटा है, उसे क्या समझ आएगा। लेकिन ऐसा नहीं है। बच्चों के सामने झगड़ने से वे असुरक्षित महसूस करते हैं। यह असुरक्षा का भाव उन्हें दूसरों के साथ घुलने-मिलने में संकोच पैदा करता है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के सामने शांत और सकारात्मक माहौल बनाए रखें।