बरेली में युवतियों द्वारा पैसे मांगने का अनोखा तरीका, क्या है इसके पीछे का सच?
बरेली की सड़कों पर अनोखा दृश्य
हाल ही में बरेली की सड़कों पर एक अजीब नज़ारा देखने को मिला। जींस और टॉप पहने कुछ युवतियां राहगीरों से पैसे मांगती नजर आईं। उनके पास न तो कोई झोला था और न ही भिखारी जैसी कोई छवि। बस एक कहानी और इमोशनल अपील के जरिए उन्होंने कुछ ही मिनटों में 100-200 रुपये इकट्ठा कर लिए।पिछले हफ्ते बलिया में भी ऐसी चार युवतियां रेलवे स्टेशन के पास इसी तरह से पैसे मांगती देखी गई थीं। अब सवाल यह उठता है कि क्या यह कोई नया ट्रेंड है या फिर किसी संगठित गिरोह की योजना।
बरेली के आंवला-बदायूं रोड पर जो कुछ हुआ, उसने स्थानीय लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। इन युवतियों ने राह चलते लोगों को रोककर कहा, "हम बहुत परेशान हैं, घर की स्थिति खराब है, कृपया थोड़ी मदद करें।" कुछ लोगों ने उनकी बातों पर विश्वास कर पैसे दिए, जबकि कईयों को संदेह हुआ।
आंवला पुलिस को इस मामले की सूचना मिली और उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए नौ युवतियों को थाने लाया।
युवतियों की पहचान और पुलिस की कार्रवाई
पूछताछ के दौरान यह पता चला कि सभी युवतियां गुजरात के अहमदाबाद की निवासी हैं। इनमें से किसी के पास यह स्पष्ट जवाब नहीं था कि वे बरेली कैसे और क्यों पहुंचीं।
युवतियों के नाम हैं: उर्मि (28), नीतू (25), कुसुम (25), अंजलि (21), सुनीता (26), रीना (20), मनीषा (20), पूनम (25), और टीना (26)। पुलिस ने सभी पर शांति भंग की धारा में मामला दर्ज कर उन्हें एसडीएम कोर्ट में पेश किया। बाद में उन्हें दो-दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया।
स्थानीय लोगों की चिंताएं और पुलिस की जांच
इस मामले ने तब गंभीर मोड़ लिया जब स्थानीय लोगों ने आशंका जताई कि यह कोई साधारण मामला नहीं है। उनका मानना है कि ये महिलाएं केवल बरेली में नहीं, बल्कि अन्य शहरों में भी इसी तरीके से पैसे वसूलने का काम कर सकती हैं।
कुछ लोगों ने यह भी कहा कि अगर कोई उन्हें पैसे न दे, तो वे झूठे आरोप लगाकर फंसा सकती हैं। पुलिस अब इस एंगल से भी जांच कर रही है कि क्या इनके साथ कोई अन्य गैंग सक्रिय है।
आंवला कोतवाल कुंवर बहादुर सिंह ने मीडिया को बताया कि युवतियों ने अपने अपराध को स्वीकार किया है और आर्थिक तंगी के कारण वे यह कर रही थीं।