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बांके बिहारी मंदिर विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का दिया सुझाव

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर के विवाद में मध्यस्थता का सुझाव दिया है। अदालत ने सरकार की योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि मंदिर ट्रस्ट के फंड का उपयोग किस अधिकार से किया जा रहा है। पूर्व प्रबंधन ने भी इस अध्यादेश पर आपत्ति जताई है। कोर्ट ने सुझाव दिया कि एक सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की समिति का गठन किया जाए। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बारे में।
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बांके बिहारी मंदिर विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का दिया सुझाव

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

Banke Bihari Temple: उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने भगवान श्रीकृष्ण की भावना का उल्लेख करते हुए पक्षों से आपसी सहमति से समाधान निकालने का आग्रह किया। अदालत ने कहा कि भगवान कृष्ण पहले मध्यस्थ थे, इसलिए इस मामले में भी मध्यस्थता का प्रयास किया जाना चाहिए।


सरकार की योजना पर सवाल

उत्तर प्रदेश सरकार ने मंदिर के विकास के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना बनाई है, जिसके तहत मंदिर के फंड का उपयोग किया जाएगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी आपत्ति जताते हुए इसकी संवैधानिक वैधता की जांच की आवश्यकता बताई है। अदालत ने यह भी कहा कि वह पहले दिए गए अपने फैसले को स्थगित करने पर विचार कर सकती है।


सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि उसने मंदिर ट्रस्ट के पैसे के उपयोग की अनुमति किस अधिकार से प्राप्त की। कोर्ट ने 15 मई को दिए गए अपने निर्णय पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वह अब उस आदेश के एक हिस्से को स्थगित करने पर विचार कर रही है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची ने मौखिक रूप से कहा कि हम प्रस्ताव रखते हैं कि उस आदेश का एक हिस्सा फिलहाल स्थगित किया जाए। एक पूर्व हाई कोर्ट या जिला न्यायाधीश को प्रबंधन ट्रस्टी नियुक्त किया जा सकता है।


अध्यादेश पर आपत्ति

मंदिर के पूर्व प्रबंधन ने अदालत में दलील दी कि यह अध्यादेश बिना उनकी सुनवाई के लाया गया, जिससे उनके परिवार को मंदिर की प्राचीन सेवा से हटा दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक निजी विवाद था, जिसमें राज्य सरकार ने अनावश्यक हस्तक्षेप किया।


अदालत का सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि यदि राज्य सरकार को मंदिर क्षेत्र में विकास करना था, तो वह वैध तरीके से भूमि अधिग्रहण करके ऐसा क्यों नहीं कर सकती थी। अदालत ने कहा कि किसी को मंदिर की ओर से सुना जाना चाहिए था।


अदालत का सुझाव

कोर्ट ने सुझाव दिया कि एक सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की समिति का गठन किया जाए, जो अध्यादेश की वैधता तय होने तक मंदिर के प्रबंधन और विकास कार्यों की जिम्मेदारी संभाले। यह समिति तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए मंदिर निधि का उपयोग कर सकेगी।


प्रस्ताव पर विचार

कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को अगले दिन सुबह 10:30 बजे तक उत्तर प्रदेश सरकार से चर्चा कर प्रस्ताव पर जवाब देने का निर्देश दिया है।


पुनर्विकास का मुद्दा

1862 में बने बांके बिहारी मंदिर में अगस्त 2022 में जन्माष्टमी के दौरान भगदड़ जैसी स्थिति बन गई थी, जिसमें दो लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद सितंबर 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर में दर्शन व्यवस्था बेहतर बनाने और भीड़ नियंत्रण के लिए एक कॉरिडोर प्लान तैयार करने का निर्देश दिया था।


न्यायपालिका की चेतावनी

इससे पहले भी मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि यदि राज्य निजी मामलों में इस प्रकार दखल देगा तो कानून का शासन खतरे में पड़ जाएगा।