बांग्लादेश में भीड़ हिंसा का बढ़ता संकट: कबाड़ व्यापारी की हत्या पर छात्रों का प्रदर्शन

बांग्लादेश में कबाड़ व्यापारी की हत्या
बांग्लादेश में भीड़ द्वारा हत्या: ढाका में एक कबाड़ व्यापारी की निर्मम हत्या ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया है। इस घटना के बाद सैकड़ों छात्र सड़कों पर उतर आए और सरकार पर भीड़ हिंसा को रोकने में असफल रहने का आरोप लगाया। यह घटना पुराने ढाका के मिटफोर्ड अस्पताल के पास हुई, जहां जबरन वसूली करने वालों ने सोहाग को बेरहमी से मार डाला। एक वायरल वीडियो में हमलावरों को सोहाग के शव पर नाचते हुए देखा गया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें से दो के पास अवैध हथियार भी मिले हैं। गृह मामलों के सलाहकार, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल जहांगीर आलम चौधरी ने इसे एक सभ्य समाज के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया।
छात्रों का आक्रोश और प्रदर्शन
छात्रों में गुस्सा और सड़कों पर प्रदर्शन
इस घटना के खिलाफ ढाका विश्वविद्यालय, जगन्नाथ विश्वविद्यालय, बीआरएसी विश्वविद्यालय, एनएसयू, ईस्ट वेस्ट विश्वविद्यालय और ईडन कॉलेज के छात्रों ने रैलियां निकालीं। प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए, "तुम जानवरों को लोगों को मारने का अधिकार किसने दिया?" छात्रों ने सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की।
हत्या का मामला दर्ज
हत्या का मामला दर्ज
लाल चंद सोहाग की बहन, मंजुआरा बेगम (42), ने कोतवाली पुलिस स्टेशन में हत्या का मामला दर्ज कराया है। इस मामले में 19 नामजद और 15-20 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है। स्थानीय मीडिया के अनुसार, इस हत्या में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं का हाथ बताया जा रहा है। बीएनपी ने चार आरोपियों को तुरंत पार्टी से बाहर कर दिया है।
बांग्लादेश में बढ़ती भीड़ हिंसा
बांग्लादेश में बढ़ती भीड़ हिंसा और हमले
बांग्लादेश में अगस्त 2024 के बाद से भीड़ हिंसा की घटनाओं में तेजी आई है, जब शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन के हिंसक आंदोलन ने सत्ता से बेदखल कर दिया था। इस महीने की शुरुआत में कुमिला के मुरादनगर में एक महिला और उसके दो बच्चों की नशीली दवाओं के कारोबार के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।
संगठनों की चिंता
संगठनों की चिंता
मानवाधिकार संगठन ऐन ओ सलीश केंद्र ने जून में 444 भीड़ हिंसा की घटनाएं दर्ज कीं, जिनमें 179 लोगों की मौत हुई। कार्यकर्ता नूर खान लिटन ने कहा कि इतनी भयावह घटनाओं के बावजूद, सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं देखी जा रही है, जिससे कोई कड़ा संदेश जा सके। निगरानी संस्था शुशाशोनर जोनो नागोरिक ने भी कहा कि भीड़ हिंसा अब नियंत्रण से बाहर हो रही है।