बाढ़ से प्रभावित बाउपुर मंड क्षेत्र में संत सीचेवाल का अद्वितीय राहत कार्य

बाढ़ का कहर: 29 दिन की त्रासदी
बाउपुर मंड क्षेत्र में बाढ़ की तबाही को अब 29 दिन हो चुके हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने न केवल खेतों को बल्कि किसानों के सपनों और मेहनत को भी बर्बाद कर दिया है। ब्यास नदी के बदलते प्रवाह ने 46 गांवों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिससे लगभग 15,000 एकड़ भूमि जलमग्न हो गई है.
संत सीचेवाल का मानवीय प्रयास
इस संकट के समय में, राज्यसभा सांसद और पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने अपनी संवेदनशीलता और सेवा भावना से लोगों के लिए एक सहारा बनकर खड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि जब अन्नदाता खुद अन्न के लिए तरस रहा हो, तो यह दृश्य असहनीय है। यह समय केवल 'सरबत का भला' मांगने का नहीं, बल्कि सच में सरबत का भला करने का है.
राहत कार्य में जुटे संत सीचेवाल
ब्यास नदी के कहर से कई परिवार बेघर हो गए हैं। नदी धीरे-धीरे घरों को धकेल रही है, जिससे लोग अपने गांव छोड़ने को मजबूर हैं। इस कठिन समय में संगठनों और समाज के लोग भी पीड़ितों की मदद कर रहे हैं। कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.
विशाल नाव का निर्माण
संत सीचेवाल और उनकी टीम ने बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री के साथ-साथ तीन दिन और रातों की मेहनत से एक विशाल नाव भी तैयार की। यह नाव बड़ी संख्या में लोगों, पशुओं और भारी मशीनरी को सुरक्षित स्थानों तक ले जाने में सक्षम है, जिससे किसानों को भारी नुकसान से बचाया जा सके.
सेवा कार्य में निरंतरता
संत सीचेवाल केवल नाव बनाने तक सीमित नहीं रहे, बल्कि वे हर दिन सुबह से शाम तक फंसे लोगों तक भोजन, पानी और दवाइयां पहुंचाते हैं। जबकि अन्य नेता बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का केवल औपचारिक दौरा कर लौट गए, सीचेवाल ने मंड क्षेत्र को छोड़ना उचित नहीं समझा.
लोगों के बीच रहकर सेवा
पिछले तीन हफ्तों से, वे सुबह 8:30 बजे से शाम 6-7 बजे तक राहत कार्य में लगे हुए हैं। उन्होंने न केवल परिवारों को बचाया, बल्कि बच्चों और पशुओं को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। अगस्त के अंत तक लगभग 300 जानवरों को बचाया गया था.
संत सीचेवाल के प्रयासों का प्रभाव
उनकी निस्वार्थ सेवा ने अन्य राजनेताओं को भी प्रेरित किया है। पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह और पंजाब के जल संसाधन मंत्री ने बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया। लेकिन संत सीचेवाल लगातार वहां मौजूद रहे और आज भी पीड़ितों के साथ खड़े हैं.
किसानों की उम्मीद
किसान निर्मल सिंह ने अपनी डूबी हुई फसल को देखकर कहा कि जब उनके खेत पानी में चले गए, तो उन्होंने सोचा कि सब कुछ खत्म हो गया है। लेकिन जब बाबा जी (सीचेवाल) हर सुबह अपनी नाव में आते थे, तो हमें महसूस हुआ कि हम अकेले नहीं हैं। यह बयान इस बात का प्रमाण है कि संत सीचेवाल के कार्यों ने कठिन समय में लोगों को सहारा और उम्मीद दी है.