बारिश और बाढ़ से प्रभावित राज्यों में राहत कार्य जारी
बारिश और बाढ़ का कहर
बारिश और बाढ़ का संकट पहाड़ों से लेकर मैदानों तक फैला हुआ है। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा जैसे राज्य इस मौसम की मार झेल रहे हैं। पंजाब में बाढ़ की स्थिति गंभीर है, जहां पौंग और रणजीत सागर डैम के बाद भाखड़ा डैम के फ्लड गेट भी 4 फीट तक खोले गए हैं। इन डैमों से छोड़े गए पानी के कारण पंजाब के 12 से अधिक जिले और हरियाणा के 18 जिले बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। लाखों लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं, और बाढ़ प्रभावित गांवों से लोगों को राहत शिविरों में स्थानांतरित किया जा रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, पंजाब में 3 लाख एकड़ फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। हिमाचल प्रदेश को आपदा ग्रस्त राज्य घोषित किया गया है, और पंजाब केंद्र से सहायता की मांग कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली हवाई अड्डे से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से राज्य की स्थिति का जायजा लिया है।
सामाजिक और सरकारी राहत प्रयास
प्राकृतिक आपदा के इस समय में सरकार के साथ-साथ समाज भी राहत और बचाव कार्यों में जुटा हुआ है। लगातार बारिश ने राहत कार्यों में लगे लोगों और संगठनों के लिए चुनौतियाँ पैदा की हैं। हरियाणा में 18 जिलों की स्थिति गंभीर है, जहां 2.5 लाख एकड़ फसलें जलमग्न हो चुकी हैं, जिससे 40 हजार किसान परिवार प्रभावित हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में बादल फटने से दोनों क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला केंद्र से राहत की मांग कर रहे हैं। उत्तराखंड भी इसी तरह की मौसम की मार झेल रहा है। इन राज्यों की सरकारें राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर बैठकें कर रही हैं।
सामाजिक संगठनों की भूमिका
इस संकट के समय में धार्मिक और सामाजिक संगठनों के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों को सहयोग देना हर नागरिक का कर्तव्य बन गया है। यह आवश्यक नहीं है कि आप लाखों रुपए का दान करें; आपकी सामर्थ्यानुसार जो भी सहायता करें, वह महत्वपूर्ण है। प्रभावित पड़ोसियों की मदद करना विशेष महत्व रखता है। राहत कार्यों के लिए सरकारें भी आर्थिक सहायता प्रदान कर रही हैं। इंसानों के साथ-साथ पशुधन को बचाने के लिए भी सक्रिय होना आवश्यक है। दवाइयां, कपड़े, बर्तन आदि देने के साथ-साथ पीड़ित परिवारों के नुकसान की भरपाई के लिए हर व्यक्ति को प्रयास करना चाहिए।
धर्म और परमार्थ का महत्व
आपका दिया गया सहयोग संकटग्रस्त लोगों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा। हमारे धार्मिक ग्रंथों में परमार्थ को धर्म माना गया है, और संकटग्रस्त लोगों की सहायता करना एक पुण्य कार्य है। हर व्यक्ति को धर्म कर्म को अपना कर्तव्य समझते हुए आगे आना चाहिए।
संपादक का संदेश
-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक