बिहार की राजनीति में 10 सर्कुलर रोड बंगले का नया मोड़
पटना में राजनीतिक हलचल
पटना: पटना के वीआईपी क्षेत्र में स्थित 10 सर्कुलर रोड का बंगला हमेशा से राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र रहा है। लालू-राबड़ी परिवार की उपस्थिति ने इसे बिहार की सत्ता और विपक्ष के समीकरणों पर नजर रखने का एक महत्वपूर्ण स्थान बना दिया है। सत्ता परिवर्तन और गठबंधन में बदलाव के बावजूद, यह बंगला लंबे समय तक परिवार के पास रहा। अब, 2025 की नई एनडीए सरकार ने इसे खाली करने का आदेश दिया है।
यह निर्णय केवल आवास परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक शक्ति संतुलन और सरकार की नई नीतियों का संकेत भी है। इस बंगले की कहानी बिहार की राजनीति के उतार-चढ़ाव की ऐतिहासिक झलक प्रस्तुत करती है।
10 सर्कुलर रोड का इतिहास
2005 से पहले, लालू-राबड़ी सरकार लगभग 15 वर्षों तक बिहार की सत्ता में रही। राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री रहते, परिवार एक अणे मार्ग के सरकारी आवास में निवास करता था। नवंबर 2005 में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद, वे एक अणे मार्ग में चले गए और राबड़ी देवी को 10 सर्कुलर रोड का आवास आवंटित किया गया। इसी समय से लालू परिवार इस बंगले में रहने लगा और अगले 20 वर्षों तक यहीं रहा।
हाईकोर्ट का निर्णय
2015 में महागठबंधन सरकार बनने के बाद, तेजस्वी यादव को 5 देशरत्न मार्ग का आवास मिला। 2017 में सरकार के बदलने पर उन्हें बंगला खाली करने का नोटिस मिला। तेजस्वी यादव ने इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाने का निर्णय लिया, लेकिन 2019 में कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों की सरकारी सुविधाएं समाप्त कर दीं। राबड़ी देवी नेता प्रतिपक्ष होने के नाते 10 सर्कुलर रोड पर बनी रहीं।
सरकार का नया रुख
2025 में बनी नई एनडीए सरकार ने प्रशासनिक पुनर्संरचना के तहत सरकारी आवासों का पुनर्वितरण किया। राबड़ी देवी को नेता प्रतिपक्ष के कोटे से नया बंगला 39 हार्डिंग रोड आवंटित किया गया है। अब उनके पास 10 सर्कुलर रोड को खाली करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इससे बिहार की राजनीतिक दिशा में स्पष्ट बदलाव और सत्ता समीकरण पर बीजेपी की पकड़ दिखाई देती है।
नेता प्रतिपक्ष के लिए नया आवास
भवन निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव शिव रंजन ने एक औपचारिक पत्र जारी कर बताया कि राबड़ी देवी को नया बंगला नेता प्रतिपक्ष के कोटे से आवंटित किया गया है। इसी आदेश के तहत तेज प्रताप यादव को भी 26 एम स्ट्रैंड रोड का बंगला छोड़ना होगा, जो अब नए मंत्री लखेंद्र कुमार रोशन को दिया गया है। यह कदम बिहार की राजनीति में नए समीकरण और सत्ता का संकेत माना जा रहा है।
