Newzfatafatlogo

बिहार की राजनीति में सतीश प्रसाद सिंह का चार दिन का मुख्यमंत्री कार्यकाल

बिहार की राजनीति में सतीश प्रसाद सिंह का नाम एक अनोखे रिकॉर्ड के लिए जाना जाता है। उन्होंने केवल चार दिन के लिए मुख्यमंत्री का पद संभाला, जो आज भी चर्चा का विषय है। जानें उनके कार्यकाल की कहानी और कैसे उनका नाम सामाजिक न्याय की लड़ाई से जुड़ गया।
 | 
बिहार की राजनीति में सतीश प्रसाद सिंह का चार दिन का मुख्यमंत्री कार्यकाल

बिहार की राजनीति का अनोखा सफर


पटना: बिहार की राजनीतिक स्थिति हमेशा से ही उतार-चढ़ाव से भरी रही है। यहाँ सरकारें बनती और गिरती रहती हैं, और कई बार ऐसे घटनाक्रम होते हैं जो लंबे समय तक चर्चा का विषय बनते हैं।


अब जब नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहे हैं, तब सतीश प्रसाद सिंह का नाम एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। ये वही नेता हैं, जिन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में केवल चार दिन का कार्यकाल बिताया था।


सतीश प्रसाद सिंह का परिचय

सतीश प्रसाद सिंह एक छोटे राजनीतिक दल 'शोषित दल' से जुड़े थे, जो विशेष रूप से पिछड़े और दलित वर्गों की आवाज उठाने के लिए जाना जाता था। उन्होंने 1967 में पहली बार विधायक के रूप में चुनाव जीता था।


उस समय बिहार में सरकारें स्थिर नहीं रह पा रही थीं। लगातार नई-नई गठबंधन सरकारें बनती और गिरती जा रही थीं।


चार दिन का मुख्यमंत्री कार्यकाल

28 जनवरी 1968 को महामाया प्रसाद सिन्हा की सरकार गिर गई। इसके बाद कई छोटे दल और निर्दलीय विधायक मिलकर एक नई सरकार बनाने की कोशिश करने लगे। इस गठबंधन में किसी प्रमुख नेता को मुख्यमंत्री बनाने पर सहमति नहीं बन पा रही थी। अंततः सभी ने नए विधायक सतीश प्रसाद सिंह को मुख्यमंत्री के रूप में चुन लिया।


सतीश प्रसाद सिंह ने 28 जनवरी 1968 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन यह गठबंधन इतना कमजोर था कि चार दिन बाद, 1 फरवरी 1968 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इस प्रकार उनका कार्यकाल केवल 4 दिन का रहा। उनके बाद बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल (बी.पी. मंडल) मुख्यमंत्री बने।


सतीश प्रसाद सिंह का नाम क्यों याद किया जाता है?

बिहार में कई मुख्यमंत्री ऐसे रहे हैं जिनका कार्यकाल छोटा रहा है। नीतीश कुमार ने भी मार्च 2000 में केवल 7 दिन के लिए मुख्यमंत्री का पद संभाला था। लेकिन सतीश प्रसाद सिंह का नाम सबसे कम दिनों तक मुख्यमंत्री रहने के रिकॉर्ड के लिए जाना जाता है - केवल 4 दिन!


उनके इस्तीफे के बाद बी.पी. मंडल मुख्यमंत्री बने, और मंडल आयोग की रिपोर्ट ने पूरे देश में पिछड़े वर्गों को आरक्षण दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस प्रकार, सतीश प्रसाद सिंह का नाम सामाजिक न्याय की इस बड़ी लड़ाई से भी जुड़ गया।