बिहार चुनावों में वोटिंग डेटा पर चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण
चुनाव आयोग ने खारिज की वोटों की संख्या में गड़बड़ी की थ्योरी
बिहार विधानसभा चुनावों में वास्तविक वोटों और पंजीकृत मतदाताओं की संख्या के बीच बड़े अंतर के दावों के बीच, चुनाव आयोग ने शुक्रवार को 'मिसमैच' थ्योरी को खारिज कर दिया। आयोग ने झूठे दावों को उजागर करने के लिए पोस्टल बैलेट सहित मतदान डेटा का हवाला दिया।
सोशल मीडिया पर फैल रहे दावों में कहा गया है कि विधानसभा चुनाव में डाले गए वोटों की संख्या रजिस्टर्ड मतदाताओं की कुल संख्या से अधिक थी, जिससे मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ी और धांधली का संकेत मिलता है।
दावा किया गया कि चुनाव आयोग ने 30 सितंबर को जारी अपनी अंतिम सूची में कुल 7.42 करोड़ मतदाताओं का आंकड़ा दिखाया था, लेकिन 14 नवंबर को मतदान समाप्त होने के बाद पोल पैनल ने अपने बयान में कुल मतदाताओं की संख्या 7.45 करोड़ बताई।
यह ध्यान देने योग्य है कि चुनाव आयोग ने 17 नवंबर को जारी अपने अंतिम इंडेक्स कार्ड में वोटर टर्नआउट को रिकॉर्ड 67.13 प्रतिशत बताया था।
पोल पैनल ने इन दावों पर ध्यान दिया और मतदाताओं के बीच अंतर के दावों को गलत बताया। आयोग ने कहा कि गलत डेटा में पोस्टल बैलेट को शामिल नहीं किया गया है, जिससे मतदान प्रक्रिया की ईमानदारी पर संदेह उत्पन्न होता है।
चुनाव आयोग के डेटा से जुड़े सूत्रों के अनुसार, बिहार चुनाव में कुल 2,01,444 पोस्टल बैलेट डाले गए, जिनमें से 23,918 रिजेक्ट हो गए। ईवीएम और पोस्टल बैलेट दोनों में कुल 9,10,730 मतदाताओं ने NOTA का विकल्प चुना।
पोल पैनल ने कहा कि ईवीएम वोट और पोस्टल बैलेट को मिलाकर, वैध मतदाताओं की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से पूरी तरह मेल खाती है, जिससे चुनाव आयोग का डेटा 100 प्रतिशत सही साबित होता है।
5,000,29,880 वोटों के अनुमानित आंकड़े को खारिज करते हुए आयोग ने दावा किया कि यदि अंतिम गिनती में 1,77,526 पोस्टल बैलेट शामिल किए जाएं, तो संख्या चुनाव आयोग के आंकड़ों से पूरी तरह मेल खाती है।
