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बिहार में गरीब बेटियों की शादी के लिए पंचायतों में विवाह भवन का निर्माण

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव से पहले एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने ‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह मंडप योजना’ को मंजूरी दी है, जिसके तहत हर पंचायत में विवाह भवन का निर्माण किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य गरीब परिवारों की बेटियों के विवाह कार्यक्रम को सुगम बनाना है। इसके संचालन का जिम्मा जीविका दीदियों को सौंपा गया है, जिससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। यह पहल न केवल सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देगी, बल्कि महिला सशक्तिकरण को भी मजबूत करेगी। जानें इस योजना के अन्य लाभ और चुनावी रणनीति के संदर्भ में इसके महत्व के बारे में।
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बिहार में गरीब बेटियों की शादी के लिए पंचायतों में विवाह भवन का निर्माण

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ऐलान

बिहार कैबिनेट की बैठक: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की जनता के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। बिहार कैबिनेट ने ‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह मंडप योजना’ को मंजूरी दी है, जिसके तहत हर पंचायत में विवाह भवन का निर्माण किया जाएगा। इस बैठक में कुल 46 प्रस्तावों पर चर्चा की गई, जिसमें सभी मंत्री और अधिकारी शामिल थे।
मुख्यमंत्री ने एक्स प्लेटफॉर्म पर साझा किया कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों की बेटियों के विवाह कार्यक्रम को सुगम बनाने के लिए सभी पंचायतों में विवाह भवन का निर्माण किया जाएगा। इस योजना के लिए 40 अरब 26 करोड़ 50 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई है।


जीविका दीदियों द्वारा संचालन

इस योजना का संचालन जीविका दीदियों को सौंपा गया है, जिससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। यह पहल न केवल सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देगी, बल्कि महिला सशक्तिकरण को भी प्रोत्साहित करेगी।


विवाह भवनों के लाभ

राज्य में वर्तमान में 8053 ग्राम पंचायतें, 533 पंचायत समितियां और 38 जिला परिषदें कार्यरत हैं। ग्राम पंचायतों को वार्डों में बांटा गया है, जिनकी संख्या लगभग 1.15 लाख है। यह योजना गरीब और निम्न आय वर्ग के परिवारों को विवाह स्थल के खर्च से राहत प्रदान करेगी। इसके अलावा, स्थानीय स्तर पर सामाजिक कार्यक्रमों के लिए स्थान उपलब्ध होगा और सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए भी इन भवनों का उपयोग किया जा सकेगा।


चुनावी रणनीति का हिस्सा?

यह निर्णय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा चुनावी मौसम में उठाया गया एक मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। यह सीधे तौर पर ग्रामीण मतदाताओं, खासकर महिलाओं और गरीब वर्ग को लक्षित करता है। इससे सरकार की सामाजिक प्रतिबद्धता की छवि को मजबूत करने में मदद मिलेगी।