बिहार में जंगलराज: चुनावी मुद्दा या वास्तविकता?
 
                           
                        बिहार में चुनावी माहौल
राजीव रंजन तिवारी | बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। चुनावी माहौल में जब जंगलराज का जिक्र होता है, तो यह लोगों का ध्यान खींचता है। हालांकि, अधिकांश लोग इसे नजरअंदाज करते हैं। लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे प्रभावशाली नेता इसे उठाते हैं, तो यह सोचने पर मजबूर करता है। दिलचस्प बात यह है कि जंगलराज को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिशें हो रही हैं, लेकिन जनता का ध्यान इस ओर नहीं है। आइए, हम बिहार के जंगलराज की चर्चा को विस्तार से समझते हैं।
मोदी का हमला
 
 
 प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में मुजफ्फरपुर में एक रैली में कांग्रेस और राजद पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि राजद के शासनकाल में कई गंभीर मुद्दे उत्पन्न हुए थे, जिन्हें उन्होंने पांच शब्दों में संक्षेपित किया: कट्टा, क्रूरता, कटुता, कुशासन और करप्शन। मोदी ने सवाल उठाया कि जंगलराज के तहत बिहार के लिए क्या किया गया है। उनका कहना था कि जहां राजद और कांग्रेस का शासन होता है, वहां विकास की कोई संभावना नहीं होती।
भाजपा का समर्थन
भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा ने मोदी की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि पहले लोग रात में बाहर निकलने से डरते थे। अब राजग की सरकार में स्थिति में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि अपराधी अब डर के मारे अपराध करने की हिम्मत नहीं कर पाते। मनोज शर्मा ने विश्वास जताया कि इस बार भी राजग की सरकार बनेगी।
लालू प्रसाद का प्रभाव
राजद प्रमुख लालू प्रसाद, जो अब सक्रिय राजनीति से दूर हैं, फिर भी पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतीक बने हुए हैं। जंगलराज का आरोप आज भी राजद के साथ जुड़ा हुआ है। लालू ने अपनी आत्मकथा में बताया था कि यह शब्द तब आया जब उन्होंने पटना गोल्फ कोर्स को सफारी पार्क में बदलने की कोशिश की थी।
तेजस्वी यादव का प्रयास
तेजस्वी यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव में स्वतंत्र रूप से अभियान चलाया और जंगलराज की आलोचना से पार्टी को दूर करने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री मोदी ने तेजस्वी को जंगलराज का युवराज कहा था।
महागठबंधन की प्रतिक्रिया
महागठबंधन के नेता जंगलराज की बातों को नकारते हैं। राजद की प्रवक्ता प्रियंका भारती का कहना है कि पिछले 20 वर्षों से नीतीश कुमार की सरकार है और केंद्र में मोदी की सरकार है। ऐसे में जंगलराज का आरोप लगाना बेमानी है। प्रियंका का कहना है कि इस बार का चुनाव परिवर्तन लाने वाला होगा।
राजद की पहचान
राजद अब अपनी पहचान को बदलने की कोशिश कर रही है। तेजस्वी यादव ने इसे एक बहुजन पार्टी के रूप में फिर से परिभाषित करने का प्रयास किया है। हालांकि, यह देखना होगा कि क्या ये प्रयास चुनावी परिदृश्य में राजद की स्थिति को मजबूत करेंगे।
ग्रामीण बिहार में बदलाव
ग्रामीण बिहार में प्रशांत किशोर एक नई धुरी बनते जा रहे हैं। उनकी जन सुराज पार्टी को कुछ सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। हालांकि, मतदाता अभी भी उनके प्रति सतर्क हैं।
बिहार की कानून व्यवस्था
बिहार में अपराध और भ्रष्टाचार की स्थिति चिंताजनक है। हाल ही में हुई हत्याओं पर तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था चरमरा गई है।
निष्कर्ष
बिहार में चुनावी माहौल में जंगलराज का मुद्दा महत्वपूर्ण बना हुआ है। यह देखना होगा कि क्या इस बार चुनाव में बदलाव आएगा या नहीं।
