बिहार में ट्रायल इन एब्सेंटिया की शुरुआत: न्याय व्यवस्था में नया बदलाव
बिहार में ट्रायल इन एब्सेंटिया का आगाज
बिहार ने भारतीय न्याय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन करते हुए 'ट्रायल इन एब्सेंटिया' की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस नई व्यवस्था के तहत गंभीर आपराधिक मामलों में फरार आरोपियों के खिलाफ उनकी अनुपस्थिति में भी मुकदमा चलाया जा सकेगा। यह प्रावधान भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अंतर्गत लाया गया है, जो जुलाई 2024 से पूरे देश में लागू होगा। हालांकि, अब तक किसी अन्य राज्य ने इसे लागू नहीं किया है।
ट्रायल इन एब्सेंटिया की परिभाषा
ट्रायल इन एब्सेंटिया का अर्थ है आरोपी की गैरमौजूदगी में अदालत द्वारा मुकदमा चलाना। पहले के कानून में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी, जिसके कारण फरार आरोपियों के मामलों में सुनवाई कई वर्षों तक लटक जाती थी। नए कानून के अनुसार, यदि आरोपी जानबूझकर न्याय से भाग रहा है और उसकी गिरफ्तारी की संभावना नहीं है, तो अदालत सुनवाई को आगे बढ़ा सकती है।
बांका जिले में पहला मामला
इस प्रावधान को सबसे पहले बांका जिले में एक हत्या के मामले में लागू किया गया। इस मामले में 21 आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिनमें से 16 को गिरफ्तार किया गया है, जबकि 5 आरोपी फरार हैं। पुलिस और अभियोजन पक्ष के अनुरोध पर अदालत ने सभी आरोपियों के खिलाफ एक साथ मुकदमा चलाने की अनुमति दी।
प्रावधान की विशेषताएँ
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 356 के अनुसार, आरोप तय होने के बाद 90 दिन की अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि निर्धारित की गई है। इस अवधि के दौरान फरार आरोपी को पेश होने के लिए नोटिस, वारंट और समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए जाते हैं। यदि इसके बाद भी वह अदालत में उपस्थित नहीं होता, तो ट्रायल शुरू किया जा सकता है।
गंभीर अपराधों के लिए प्रावधान का उपयोग
गृह विभाग ने सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि गंभीर अपराधों में फरार आरोपियों के खिलाफ इस प्रावधान का उपयोग किया जाए। राज्य अभियोजन निदेशालय इसकी निगरानी कर रहा है और पुलिस को आवश्यक कानूनी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि प्रक्रिया में कोई कमी न रहे।
न्याय की प्रक्रिया में सुधार
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से न्याय में देरी की समस्या कम होगी। इसके साथ ही, फरार अपराधियों पर कानूनी दबाव भी बढ़ेगा। बिहार की यह पहल अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण बन सकती है, जिससे देशभर में आपराधिक मामलों की सुनवाई अधिक प्रभावी हो सकेगी।
