बिहार में दीपक प्रकाश कुशवाहा की मंत्री पद पर नियुक्ति पर उठे सवाल
दीपक प्रकाश कुशवाहा की राजनीतिक चर्चा
पटना: बिहार की नई नीतीश सरकार में पंचायती राज विभाग का कार्यभार संभालने वाले दीपक प्रकाश कुशवाहा इन दिनों राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बने हुए हैं। उन्हें राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के कोटे से मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है, जिसके बाद विपक्ष और सत्तारूढ़ गठबंधन में भी चर्चा का माहौल गर्म हो गया है।
विवाद का कारण
इस विवाद का मुख्य कारण यह है कि दीपक प्रकाश ने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा, फिर भी उन्हें मंत्री बनाया गया है। इस निर्णय के बाद पार्टी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा पर परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगने लगे हैं।
दीपक प्रकाश का बयान
'केवल उपेंद्र कुशवाहा के बेटे के रूप में न देखा जाए'
मंत्री दीपक प्रकाश ने इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें केवल उपेंद्र कुशवाहा के बेटे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि उनकी अपनी क्षमताओं पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'मेरी राजनीतिक समझ नई नहीं है। मैंने अपने पिता को जनसेवा करते हुए देखा है और राजनीति की बारीकियों को समझा है। पिछले पांच-छह वर्षों से मैं सक्रिय रूप से राजनीतिक कार्यों में शामिल हूं। मुझे मौका मिला है, तो समय दीजिए, मैं अपने कार्यों से साबित करूंगा कि यह निर्णय गलत नहीं था।'
सोशल मीडिया पर चर्चाएँ
सोशल मीडिया पर दावों से सनसनी
हालांकि, सोशल मीडिया पर उनके बारे में जानकारी सीमित है। एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया गया है कि दीपक प्रकाश कभी अपनी मां के खिलाफ चुनाव लड़ रहे निर्दलीय प्रत्याशी रामायण पासवान के काउंटिंग एजेंट रह चुके हैं। इस दावे ने राजनीतिक बयानबाजी को और तेज कर दिया है।
उपेंद्र कुशवाहा का बचाव
उपेंद्र कुशवाहा ने भी बेटे का किया बचाव
उधर, उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बेटे का बचाव करते हुए कहा कि यह निर्णय पार्टी संगठन को मजबूत करने और नई पीढ़ी को आगे लाने की रणनीति के तहत लिया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मंत्री पद दीपक को केवल योग्यता और संगठनात्मक सक्रियता के आधार पर दिया गया है, न कि पारिवारिक संबंध के कारण।
विधानसभा चुनाव के परिणाम
गौरतलब है कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के तहत रालोमो को छह सीटें मिली थीं, जिनमें से चार पर जीत हासिल हुई। विजेताओं में उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता, माधव आनंद, रामेश्वर कुमार महतो और आलोक सिंह शामिल थे। ऐसे में जब पार्टी को मंत्री पद का अवसर मिला, तो दीपक प्रकाश को आगे किए जाने पर विरोधी दलों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए।
दीपक प्रकाश का भविष्य
क्या कहा दीपक प्रकाश ने?
विवाद के बीच दीपक प्रकाश ने संकेत दिया है कि वे आलोचनाओं से विचलित होने के बजाय अपने विभाग में प्रदर्शन के आधार पर अपनी पहचान बनाना चाहते हैं। भले ही उनकी राजनीति की शुरुआत देर से हुई हो, लेकिन उनका मानना है कि काम ही उनकी असली पहचान बनेगा।
