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बिहार में बाढ़ राहत योजना: पशुपालकों के लिए विशेष चारा वितरण

बिहार में बाढ़ का असर अब केवल मानव जनसंख्या पर नहीं, बल्कि किसानों और पशुपालकों पर भी पड़ रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए, राज्य सरकार ने एक विशेष चारा वितरण योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत प्रभावित क्षेत्रों में समय पर चारा पहुंचाया जा रहा है, जिससे पशुपालकों को राहत मिल सके। जानें इस योजना के कार्यप्रणाली और इसके प्रभाव के बारे में।
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बिहार में बाढ़ का प्रभाव और राहत योजना

बिहार में हर साल आने वाली बाढ़ अब केवल मानव जनसंख्या के लिए समस्या नहीं रह गई है, बल्कि इसका प्रभाव किसानों और पशुपालकों पर भी पड़ रहा है। खेतों में पानी भर जाने से फसलें बर्बाद हो जाती हैं, घर जलमग्न हो जाते हैं, और सबसे बड़ी चिंता यह होती है कि मवेशियों को कैसे खिलाया जाए। चारा न मिलने के कारण मवेशियों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ने एक विशेष राहत योजना की शुरुआत की है, ताकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पशुपालकों को अपने मवेशियों के लिए चारा उपलब्ध कराया जा सके।


योजना का स्वरूप: राज्य सरकार ने पशुपालन विभाग और जिला प्रशासन के सहयोग से एक विशेष चारा वितरण योजना शुरू की है। इस योजना के तहत प्रभावित गांवों और पशु शिविरों में समय पर चारा पहुंचाया जा रहा है। कार्यक्रम की कार्यप्रणाली को सुव्यवस्थित किया गया है—बड़े पशुओं के लिए 6 किलो, छोटे पशुओं के लिए 3 किलो और बकरियों जैसे छोटे मवेशियों के लिए 1 किलो चारा निर्धारित किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि चारे की मात्रा और गुणवत्ता इस तरह से तय की गई है कि पशुओं की पोषण संबंधी आवश्यकताएं पूरी हो सकें।


कैसे होता है वितरण? चारा वितरण से पहले जिला प्रशासन प्रभावित क्षेत्रों में मवेशियों की संख्या का आकलन करता है। इसके बाद हर पशुपालक को टोकन दिया जाता है। इस व्यवस्था से न केवल पारदर्शिता बनी है, बल्कि अव्यवस्था और भीड़ को भी नियंत्रित किया गया है। पशुपालकों को एक बार में तीन दिनों से लेकर एक हफ्ते तक का चारा मिल रहा है। यदि स्थिति बिगड़ती है, तो शिविरों की व्यवस्था कर वितरण को और बढ़ाया जाएगा।


स्थानीय पशुपालक इस योजना को राहत मानते हैं। समस्तीपुर जिले के पशुपालक बबलू यादव का कहना है, “बाढ़ में घर बचे न बचे, लेकिन मवेशी हमारी असली पूंजी हैं। सरकार का यह कदम वास्तव में मददगार है, अन्यथा चारा खरीदना संभव नहीं होता।” हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल केवल अस्थायी राहत है। दीर्घकालिक नीति की आवश्यकता है जो बाढ़ और सूखा जैसे संकटों के बीच पशुधन की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके।


किसी भी पशुपालक को चारे की आवश्यकता होने पर निम्नलिखित संपर्क नंबरों पर सीधे संपर्क कर सकते हैं: पशुपालन निदेशालय, बिहार: 0612-2230942, पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान, बिहार: 0612-2226049.