बिहार में महागठबंधन की सीट बंटवारे पर बढ़ता विवाद
महागठबंधन में सीट बंटवारे का संकट
बिहार की राजनीतिक स्थिति में महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर विवाद गहरा रहा है, जिसका प्रभाव आम जनता पर पड़ सकता है। कांग्रेस पार्टी 70 सीटों की मांग पर अड़ी हुई है, जबकि तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी 50 से अधिक सीटें देने के लिए तैयार नहीं है। इस गतिरोध ने चुनावी तैयारी में अनिश्चितता का माहौल बना दिया है।आरजेडी ने महागठबंधन में सीट वितरण के लिए एक नया फार्मूला तैयार किया है, जिसमें सहयोगी दलों को सूचित किया गया है। इस योजना के अनुसार, आरजेडी को 136 सीटें, कांग्रेस को 52 सीटें, वाम दलों को 34 सीटें और मुकेश साहनी की पार्टी को 20 सीटें दी गई हैं।
दिल्ली में 9 सितंबर को हुई कांग्रेस की बैठक में पार्टी ने 70 सीटों की मांग को फिर से दोहराया है। उनका कहना है कि राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से उनका जनाधार बढ़ा है, इसलिए वे केवल सीटों की संख्या नहीं, बल्कि उनकी गुणवत्ता पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने कहा कि वे ‘हर घर अधिकार यात्रा’ को फिर से शुरू करेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए कोई नाम नहीं बताया।
कृष्णा अल्लावरू के बयान से यह संकेत मिलता है कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे नहीं हो सकते। इस पर आरजेडी सांसद सुधाकर सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी, यह कहते हुए कि अल्लावरू बिहार की राजनीति को समझने में समय लेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार हैं।