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बिहार में वोटर आईडी पर नीतीश कुमार की तस्वीर, महिला हुई हैरान

बिहार के मदेपुरा जिले में एक महिला को उसके वोटर आईडी पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर मिली, जिससे परिवार में हड़कंप मच गया। यह मामला तब सामने आया जब स्थानीय लोग चुनावी सूची में सुधार के लिए प्रदर्शन कर रहे थे। महिला के पति ने इस गलती को मीडिया के सामने लाया और इसे चुनावी प्रक्रिया में गंभीर लापरवाही बताया। चुनाव अधिकारी ने कहा कि यह गलती कर्नाटका से आई हो सकती है। इस घटना ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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बिहार में वोटर आईडी पर नीतीश कुमार की तस्वीर, महिला हुई हैरान

बिहार में वोटर आईडी की चौंकाने वाली गलती

नीतीश कुमार की तस्वीर वोटर आईडी पर: बिहार के मदेपुरा जिले में एक महिला को जब उसका वोटर आईडी कार्ड प्राप्त हुआ, तो वह चौंक गई। कार्ड पर उसकी तस्वीर के बजाय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की फोटो थी। जबकि नाम, पता और अन्य सभी जानकारी सही थी, लेकिन मुख्यमंत्री की तस्वीर देखकर महिला और उसके परिवार को बड़ा झटका लगा।

यह अजीब मामला तब सामने आया जब मदेपुरा में स्थानीय लोग चुनावी सूची में सुधार के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान महिला के पति, चंदन कुमार, ने इस गलत वोटर आईडी कार्ड को मीडिया के सामने पेश किया। उन्होंने इसे चुनावी प्रक्रिया में एक गंभीर गलती बताया और कहा कि यह चुनाव आयोग के अधिकारियों या वोटर कार्ड बनाने वाली एजेंसी की बड़ी लापरवाही है।


बूथ लेवल अधिकारी की प्रतिक्रिया

चंदन कुमार ने आरोप लगाया कि जब वे स्थानीय बूथ लेवल अधिकारी (BLO) के पास गए और इस गलती के बारे में बताया, तो उन्हें इसे छुपाने की सलाह दी गई। उनका कहना था कि यह केवल एक सामान्य गलती नहीं है, बल्कि एक गंभीर लापरवाही है, क्योंकि किसी आम नागरिक के वोटर कार्ड पर मुख्यमंत्री की तस्वीर होना असामान्य है। चंदन ने सरकार से मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जाए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी गलतियाँ न हों।


वोटर आईडी का प्रिंटिंग स्थान

इस मामले पर चुनाव अधिकारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि वोटर आईडी कार्ड कर्नाटका राज्य से छपकर आते हैं और यह गलती वहीं से हुई हो सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि कार्ड में सुधार के लिए Form 8 भरकर ऑनलाइन या उपविभागीय अधिकारी (SDO) के पास आवेदन किया जा सकता है।

इस घटना ने चुनाव आयोग की प्रक्रियाओं पर सवाल उठाए हैं, खासकर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच। अब जनता में इस मामले को लेकर काफी गुस्सा और निराशा देखने को मिल रही है और कई लोग इस मुद्दे की गंभीर जांच की मांग कर रहे हैं।