बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: संस्थागत प्रसव में 80% की वृद्धि

बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
बिहार समाचार: राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं लगातार बेहतर हो रही हैं। अब महिलाएं घर पर बच्चे को जन्म देने के बजाय अस्पतालों में प्रसव करवा रही हैं। इससे मां और बच्चे दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है। वर्ष 2005 में केवल 19.9 प्रतिशत महिलाएं अस्पताल जाती थीं, जबकि अब यह आंकड़ा 80 प्रतिशत से अधिक हो गया है।
बदलाव का कारण
बिहार में 2005 तक केवल 19.9 प्रतिशत महिलाएं संस्थागत प्रसव का विकल्प चुनती थीं, जिसका अर्थ था कि अधिकांश महिलाएं घर पर ही प्रसव कराती थीं। इससे जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरा बना रहता था। जागरूकता अभियानों, जननी सुरक्षा योजना, एम्बुलेंस सेवाओं, मुफ्त दवाओं और प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की उपलब्धता के कारण 2019-20 तक यह आंकड़ा 76.2 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
टीकाकरण अभियान की सफलता
टीकाकरण अभियान स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है। वर्ष 2002 में जहां केवल 18 प्रतिशत बच्चों को पूर्ण टीकाकरण मिला था, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 90 प्रतिशत तक पहुंच गया है। यह केवल आंकड़ा नहीं, बल्कि लाखों बच्चों के जीवन की सुरक्षा का प्रतीक है। मिशन इंद्रधनुष, नियमित स्वास्थ्य जांच शिविर, आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की सक्रियता इस सफलता की नींव बनी।
बिहार का स्वास्थ्य मॉडल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य व्यवस्था को प्राथमिकता दी है। नए अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों का निर्माण किया गया है। नर्सों और डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है और आधुनिक जांच सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।