बिहार विधानसभा चुनाव 2025: चुनाव आयोग का विपक्ष पर पलटवार

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण
Bihar Assembly Election 2025: बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) को लेकर दिल्ली में विपक्ष के विरोध के बीच चुनाव आयोग ने सोमवार को पलटवार किया है. आयोग ने कहा कि जमीनी स्तर पर कांग्रेस, राजद और सीपीआई (एम) के पदाधिकारी इस प्रक्रिया में पूरा सहयोग दे रहे हैं. जबकि राजधानी में इसका विरोध केवल दिखावे के लिए किया जा रहा है.
चुनाव आयोग ने बिहार के कई जिलों के विपक्षी दलों के पदाधिकारियों के वीडियो जारी किए, जिनमें वे SIR प्रक्रिया में सक्रिय रूप से सहयोग करते नजर आ रहे हैं. भागलपुर, गोपालगंज और पूर्णिया जिलों के कांग्रेस, राजद और सीपीआई (एम) नेताओं ने बताया कि उन्हें ड्राफ्ट मतदाता सूची और हटाए गए नामों की सूची सौंपी गई है. उन्हें एक महीने का समय मिला है ताकि गलत तरीके से हटाए गए नामों को वापस जोड़ा जा सके. आयोग ने कहा कि जब स्थानीय स्तर पर सहयोग हो रहा है, तो दिल्ली में विरोध का नाटक क्यों किया जा रहा है.
राहुल गांधी पर आयोग का सख्त रुख
राहुल गांधी पर आयोग का सख्त रुख
आयोग ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि उनके पास अब भी अवसर है कि वे शपथपत्र के साथ सबूत पेश करें या सार्वजनिक रूप से माफी मांगें. इससे पहले कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने उन्हें नोटिस भेजा था, जबकि महाराष्ट्र और हरियाणा के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों ने भी रिमाइंडर जारी कर सबूत की मांग की है. आयोग का कहना है कि बिना प्रमाण के गंभीर आरोप लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करते हैं.
विपक्ष के रवैये पर सवाल
विपक्ष के रवैये पर सवाल
चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों के विरोध को महज़ औपचारिकता बताया. आयोग ने दावा किया कि अब तक किसी भी पार्टी ने मतदाता सूची से संबंधित कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है. उनका कहना है कि SIR का उद्देश्य केवल मतदाता सूची को अद्यतन और त्रुटिरहित बनाना है. जारी किए गए वीडियो में विपक्षी नेता स्वयं यह स्वीकार कर रहे हैं कि उन्हें आवश्यक सूचियां मिल चुकी हैं और सुधार का समय भी दिया गया है.
बैठक में गैर-हाजिर रहे विपक्षी दल
बैठक में गैर-हाजिर रहे विपक्षी दल
SIR और मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों पर बातचीत के लिए आयोग ने सोमवार को दोपहर 12 बजे का समय कांग्रेस की मांग पर तय किया था. आयोग ने स्पष्ट किया था कि मीटिंग हॉल की क्षमता के अनुसार अधिकतम 30 लोग शामिल हो सकते हैं और उनके नाम व वाहन नंबर पहले से उपलब्ध कराना जरूरी है. हालांकि, तय समय पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल बैठक में शामिल नहीं हुए. आयोग के अनुसार, संवाद का अवसर देने के बावजूद विपक्ष ने इसमें भाग नहीं लिया और केवल राजनीतिक प्रदर्शन को प्राथमिकता दी.