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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: पप्पू यादव की बाढ़ पीड़ितों के लिए मदद से राजनीतिक हलचल

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आचार संहिता लागू होने के बावजूद, सांसद पप्पू यादव ने बाढ़ पीड़ितों के लिए आर्थिक मदद पहुंचाकर राजनीतिक हलचल मचा दी है। उन्होंने वैशाली जिले के गणियारी गांव में प्रभावित परिवारों के बीच पांच लाख रुपये बांटे। पप्पू यादव की यह सक्रियता चुनाव आयोग के नियमों के खिलाफ जा सकती है। जानें आचार संहिता के मुख्य नियम और पप्पू यादव की राजनीतिक स्थिति के बारे में।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: पप्पू यादव की बाढ़ पीड़ितों के लिए मदद से राजनीतिक हलचल

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आचार संहिता

Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा के साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है. इसके बावजूद पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने बाढ़ पीड़ितों के बीच आर्थिक मदद पहुंचाकर राजनीतिक हलचल मचा दी है. गुरुवार (9 अक्टूबर) को वह वैशाली जिले के सहदोई थाना क्षेत्र के गणियारी गांव पहुंचे और कटाव से प्रभावित 80 परिवारों के बीच करीब पांच लाख रुपये बांटे. घटना का वीडियो भी सामने आया है जिसमें पप्पू यादव ग्रामीणों से बात करते और उनके नुकसान की जानकारी लेते दिखाई दे रहे हैं.


पप्पू यादव की सक्रियता और राजनीतिक स्थिति

पप्पू यादव पहले भी बाढ़ पीड़ितों की मदद करते रहे हैं और यही कारण है कि उनका जनाधार काफी मजबूत माना जाता है. लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस से टिकट न मिलने के बावजूद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. हालांकि वे विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन खुद को कांग्रेस का सिपाही बताते हैं. अब आचार संहिता लागू होने के बीच उनका यह कदम कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है.


बाढ़ पीड़ितों की मदद में सक्रिय पप्पू यादव

बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में पप्पू यादव की सक्रियता नई नहीं है. वे समय-समय पर पीड़ितों तक राहत सामग्री और आर्थिक सहयोग पहुंचाते रहे हैं. लेकिन आचार संहिता के बीच पैसे बांटना चुनाव आयोग की नजर में आ सकता है.


आचार संहिता क्या होती है?

चुनावी आचार संहिता निर्वाचन आयोग द्वारा बनाए गए नियमों का समूह है, जिसका उद्देश्य चुनावों को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से कराना होता है. इसके तहत राजनीतिक दल, उम्मीदवार और सरकार पर कई प्रतिबंध लगाए जाते हैं.


आचार संहिता के मुख्य नियम

  • सत्ताधारी दल सरकारी संसाधनों का चुनावी उपयोग नहीं कर सकता.
  • नई योजनाओं या शिलान्यास की घोषणा पर रोक होती है.
  • उम्मीदवारों को तय खर्च सीमा का पालन करना होता है.
  • मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार बंद करना अनिवार्य है.
  • मतदाताओं को रिश्वत, डराना या गुमराह करना गैरकानूनी है.
  • विज्ञापन और प्रचार सामग्री निर्वाचन आयोग से स्वीकृत होनी चाहिए.
  • नियमों का उल्लंघन करने पर उम्मीदवार की उम्मीदवारी तक रद्द हो सकती है.


निष्कर्ष