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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: विदेशी नागरिकों की पहचान पर चुनाव आयोग का बड़ा खुलासा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण खुलासा किया है, जिसमें नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के कई विदेशी नागरिकों के नाम मतदाता सूची में पाए गए हैं। आयोग ने कहा है कि इन संदिग्ध नामों की जांच की जाएगी और अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से बाहर रखा जाएगा। विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: विदेशी नागरिकों की पहचान पर चुनाव आयोग का बड़ा खुलासा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025:

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के दौरान एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। आयोग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य में घर-घर जाकर की जा रही जांच में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों के 'कई विदेशी नागरिक' पाए गए हैं, जिनके नाम अस्थायी रूप से मतदाता सूची में शामिल हैं।


संदिग्ध नामों की जांच

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह पहचान बूथ स्तर के अधिकारियों द्वारा की गई है, जो मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत घर-घर जाकर काम कर रहे हैं। चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन संदिग्ध नामों की 1 अगस्त के बाद पूरी जांच की जाएगी और जो भी अवैध प्रवासी पाए जाएंगे, उनके नाम 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची में शामिल नहीं किए जाएंगे।


अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या

आयोग ने कहा है कि यह प्रक्रिया केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगी। भविष्य में पूरे देश में मतदाता सूची का इसी तरह विशेष पुनरीक्षण किया जाएगा, ताकि किसी भी विदेशी नागरिक को भारतीय मतदाता के रूप में दर्ज न होने दिया जाए। यह कदम देशभर में अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।


मतदाताओं का विवरण

अब तक लगभग 80.11 प्रतिशत मतदाताओं ने अपना विवरण अपडेट करने के लिए फॉर्म जमा कर दिए हैं। चुनाव आयोग ने यह जानकारी दी है। आयोग 25 जुलाई तक सभी गणना फॉर्म एकत्र करने की प्रक्रिया पूरी करना चाहता है, ताकि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अद्यतन मतदाता सूची तैयार की जा सके। बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में संभावित हैं।


विपक्षी दलों की आपत्ति

हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे 'खतरनाक और कानूनी रूप से संदिग्ध' बताया है। उन्होंने कहा कि 2003 के बाद जो भी मतदाता सूची में शामिल हुए हैं, उन्हें 'संदिग्ध' मानना मनमाना फैसला है। कांग्रेस का कहना है कि इससे कई वैध नागरिकों को भी मताधिकार से वंचित किया जा सकता है।


चुनाव आयोग से सफाई की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से सफाई मांगी है और यह जांचने पर सहमति जताई है कि आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को सूची में शामिल करने का आधार मानना कितना वैध है। न्यायालय यह भी देखेगा कि इस प्रक्रिया से क्या कोई व्यक्ति अवैध रूप से वंचित तो नहीं हो रहा है।