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बिहार विधानसभा चुनाव: अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन और SIR प्रक्रिया की समीक्षा

भारत चुनाव आयोग आज बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अंतिम मतदाता सूची जारी करेगा। यह सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के बाद आएगी, जो पिछले 22 वर्षों में पहली बार हुई है। विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया की आलोचना की है, जबकि चुनाव आयोग चुनाव की तैयारियों की समीक्षा कर रहा है। जानें इस महत्वपूर्ण चुनावी प्रक्रिया के बारे में और क्या है आगामी चुनाव कार्यक्रम की संभावना।
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बिहार विधानसभा चुनाव: अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन और SIR प्रक्रिया की समीक्षा

बिहार मतदाता सूची का प्रकाशन

Bihar voter list: भारत चुनाव आयोग (ECI) आज बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अंतिम मतदाता सूची जारी करेगा। यह सूची दोपहर लगभग 3 बजे आने की संभावना है, जो विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के समापन के बाद होगी। यह कदम आगामी चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है, जिसे 6 या 7 अक्टूबर के बीच घोषित किया जा सकता है।


22 वर्षों में पहली बार SIR

बिहार में पिछले 22 वर्षों में पहली बार एसआईआर प्रक्रिया का आयोजन किया गया है, जो इस बार राजनीतिक और कानूनी विवादों का केंद्र रही है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक सटीक और विश्वसनीय बनाना था, ताकि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो सके।


मतदाता सूची के मुख्य तथ्य

1 अगस्त को मसौदा मतदाता सूची जारी की गई थी, जिसके बाद 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियों के लिए समय दिया गया। उस समय बिहार में लगभग 7.89 करोड़ मतदाता थे। मसौदा सूची में 7.24 करोड़ मतदाताओं के नाम थे, जिनमें से लगभग 65.63 लाख नाम हटाए गए। इसके बाद करीब 3 लाख मतदाताओं को नोटिस भी जारी किए गए।


दावे और आपत्तियों के दौरान 2.17 लाख लोगों ने अपने नाम हटाने के लिए आवेदन किया, जबकि 16.93 लाख ने नए नाम जोड़ने की मांग की। 1 अगस्त से 1 सितंबर के बीच 16.56 लाख से ज्यादा नए पंजीकरण के लिए फॉर्म-6 जमा किए गए।


आपत्ति चरण में लगभग 36,000 लोगों ने नाम शामिल करने की मांग की, वहीं 2.17 लाख से ज्यादा लोगों ने हटाने का अनुरोध किया। 1 से 30 सितंबर के बीच प्राप्त सभी आवेदन 1 अक्टूबर से निपटाए जाएंगे। नियमों के अनुसार, अंतिम नामांकन की तारीख से 10 दिन पहले तक आवेदन किए गए नामों को पूरक सूची में शामिल किया जाएगा।


विपक्षी दलों की आलोचना

विपक्षी पार्टियों ने इस पुनरीक्षण प्रक्रिया की कड़ी आलोचना की है। उनका आरोप है कि इससे बड़ी संख्या में गरीब और अल्पसंख्यक मतदाताओं को मताधिकार से वंचित किया जा रहा है। कांग्रेस के राहुल गांधी ने इसे "वोट चोरी" करार दिया है और तेजस्वी यादव के साथ मिलकर "मतदाता अधिकार यात्रा" भी शुरू की है।


यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची ने चुनाव आयोग को चेतावनी दी है कि अगर मतदाता सूची में अनियमितताएं पाई गईं तो वे उसे रद्द करने से भी नहीं हिचकेंगे। उन्होंने आधार को वैध पहचान दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया है और "सामूहिक बहिष्कार" के बजाय "सामूहिक समावेश" की बात कही है। अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।


चुनाव आयोग की तैयारियों की समीक्षा

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. एसएस संधू और विनीत जोशी 4 और 5 अक्टूबर को बिहार का दौरा करेंगे। इस दौरान वे राजनीतिक दलों, राज्य अधिकारियों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। इससे पहले, 3 अक्टूबर को दिल्ली में चुनाव पर्यवेक्षकों की बैठक होगी, जिसमें चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया जाएगा।


आगामी चुनाव कार्यक्रम की संभावना

बिहार विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है। अंतिम मतदाता सूची जारी होने और चुनाव आयोग की समीक्षा के बाद चुनाव कार्यक्रम की घोषणा अगले सप्ताह 6 या 7 अक्टूबर को होने की उम्मीद है। यह चुनाव बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा।