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बीमा कंपनी ने खारिज किया क्लेम, उपभोक्ता आयोग ने दिए 5 लाख लौटाने के आदेश

चंडीगढ़ में एक उपभोक्ता ने बीमा कंपनी द्वारा क्लेम खारिज करने के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन-2 ने बीमा कंपनी को 5 लाख रुपए लौटाने का आदेश दिया है। गुरकृपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने हार्ट सर्जरी के लिए क्लेम दायर किया था, लेकिन कंपनी ने इसे पहले से मौजूद बीमारी बताकर खारिज कर दिया। आयोग ने बीमा कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए मानसिक पीड़ा के लिए भी मुआवजा देने का आदेश दिया। जानें इस मामले की पूरी जानकारी।
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बीमा कंपनी ने खारिज किया क्लेम, उपभोक्ता आयोग ने दिए 5 लाख लौटाने के आदेश

बीमा क्लेम विवाद में उपभोक्ता आयोग का निर्णय

चंडीगढ़ समाचार: बीमा कंपनी ने इलाज का खर्च नहीं चुकाया, क्लेम रोक दिया, अब 5 लाख का भुगतान करना होगा: डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन-2 ने बीमा कंपनी को निर्देश दिया है कि वह 5 लाख रुपए 6 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाए। गुरकृपाल सिंह मान ने बताया कि उन्होंने 5 लाख रुपए की मेडिक्लेम पॉलिसी ली थी।


उन्हें 13 अक्टूबर 2019 को सीने में दर्द महसूस हुआ और मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हार्ट सर्जरी हुई। इलाज पर कुल 8.08 लाख रुपए खर्च हुए। उन्होंने बीमा कंपनी बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस से 5 लाख रुपए का क्लेम दायर किया और सभी आवश्यक दस्तावेज 2 दिसंबर 2019 तक जमा कर दिए।


हालांकि, कंपनी ने 31 जनवरी 2020 को यह कहते हुए क्लेम खारिज कर दिया कि बीमारी पहले से मौजूद थी। इसके बाद, गुरकृपाल सिंह ने 23 जुलाई 2020 को चंडीगढ़ के डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन-2 में शिकायत दर्ज कराई।


आयोग ने 3 सितंबर 2024 को अपना फैसला सुनाया, जिसमें बीमा कंपनी को 5 लाख रुपए 6 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया गया। हालांकि, आयोग ने मानसिक पीड़ा और मुकदमे के खर्च के लिए कोई मुआवजा नहीं दिया।


गुरकृपाल सिंह ने इस फैसले को उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी, जिसमें उन्होंने 9 प्रतिशत ब्याज की मांग की। आयोग ने माना कि बीमा कंपनी ने गलत तरीके से क्लेम खारिज किया। अस्पताल के डॉक्टर की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि मरीज को हाल ही में उच्च रक्तचाप हुआ था।


आयोग ने यह भी कहा कि पहले से कोई बीमारी नहीं थी। इसके परिणामस्वरूप, आयोग ने गुरकृपाल को मानसिक पीड़ा और सेवा में कमी के लिए 50 हजार रुपए और मुकदमे के खर्च के लिए 30 हजार रुपए देने का आदेश दिया।