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बेंगलुरु में प्लास्टिक फैक्ट्री में आग: एक ही परिवार के चार सदस्यों की मौत

बेंगलुरु के नागरथपेट इलाके में एक प्लास्टिक निर्माण इकाई में शनिवार सुबह आग लगने से पांच लोगों की जान चली गई। इस दर्दनाक घटना में एक ही परिवार के चार सदस्य शामिल हैं। मदन सिंह, उनकी पत्नी और दो छोटे बेटे इस हादसे का शिकार हुए। आग लगने की सूचना फायर डिपार्टमेंट को सुबह 3:14 बजे मिली, जिसके बाद दमकल कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर आग बुझाने का प्रयास किया। जानें इस घटना के बारे में और भी जानकारी।
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बेंगलुरु में प्लास्टिक फैक्ट्री में आग: एक ही परिवार के चार सदस्यों की मौत

भीषण आग से हड़कंप

शनिवार की सुबह बेंगलुरु के नागरथपेट क्षेत्र में एक प्लास्टिक निर्माण इकाई में आग लगने से पांच लोगों की जान चली गई। यह घटना केआर मार्केट के निकट एक घनी बस्ती में हुई। मृतकों में एक परिवार के चार सदस्य शामिल हैं, जिनकी पहचान मदन सिंह (38), उनकी पत्नी संगीता (33), उनके दो बेटे रितेश (7) और विहान (5) और पड़ोसी सुरेश कुमार (26) के रूप में हुई है.


मदन सिंह का व्यवसाय

मदन सिंह, जो मूल रूप से राजस्थान से हैं, पिछले दस वर्षों से इस इमारत में निवास कर रहे थे। वह प्लास्टिक उत्पादों और चटाई बनाने का एक छोटा व्यवसाय चलाते थे, जिसकी फैक्ट्री और उनका घर एक ही स्थान पर था। घटना के समय, पूरा परिवार ऊपरी मंजिल पर सो रहा था, जहां आग तेजी से फैल गई।


दमकल विभाग की कार्रवाई

फायर डिपार्टमेंट को सुबह 3:14 बजे आग लगने की सूचना मिली, जिसके बाद तुरंत आठ दमकल गाड़ियों और 55 से अधिक अग्निशामक कर्मियों को घटनास्थल पर भेजा गया। एक वरिष्ठ अग्निशामक अधिकारी ने बताया कि आग संभवतः शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी, और गोदाम में ज्वलनशील सामग्री की अधिकता ने इसे बुझाने में कठिनाई पैदा की।


दमकल कर्मियों की चुनौतियाँ

घटनास्थल एक व्यस्त व्यावसायिक क्षेत्र में होने के कारण दमकल कर्मियों को अंदर पहुंचने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसी सप्ताह दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भी आग लगने की एक घटना हुई थी। शाम 5:15 बजे मातृ एवं शिशु ब्लॉक में आग लगने की सूचना मिली, जिस पर नौ दमकल गाड़ियों ने तुरंत काबू पाया। इस घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं आई, क्योंकि एम्स की अग्निशामन प्रणाली समय पर सक्रिय हो गई थी। हालांकि, इमारत के शीशे के ढांचे के कारण धुआं तेजी से फैल गया, जिससे नवजात शिशु वार्ड और आईवीएफ सेंटर प्रभावित हुए।