ब्रिक्स समूह की डॉलर-आधारित वित्तीय व्यवस्था से मुक्ति की दिशा में पहल
ब्रिक्स की वित्तीय स्वतंत्रता की दिशा में कदम
ब्रिक्स समूह पिछले दस वर्षों से डॉलर-आधारित वैश्विक वित्तीय प्रणाली पर निर्भरता को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। 2014 में फोर्टालेजा शिखर सम्मेलन को इस दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत माना गया, जब विकासशील देशों के लिए नए वित्तीय संस्थानों की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया। न्यू डेवलपमेंट बैंक और कंटिंजेंट रिज़र्व अरेंजमेंट इस दिशा में उठाए गए कदमों के परिणाम हैं, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए सहारा बने हैं.
स्थानीय मुद्राओं का उपयोग बढ़ाने की कोशिश
2015 में रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद, ब्रिक्स ने आपसी व्यापार में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग की संभावनाओं की खोज शुरू की। 2017 में, सदस्य देशों ने मुद्रा विनिमय, स्थानीय मुद्रा निपटान और निवेश को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की। 2020 के बाद, ब्रिक्स पेमेंट्स टास्क फोर्स का गठन एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच लेनदेन को सरल बनाना था.
ब्रिक्स क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स इनिशिएटिव
2024 के कज़ान शिखर सम्मेलन में, ब्रिक्स नेताओं ने "ब्रिक्स क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स इनिशिएटिव" को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस दिशा में "ब्रिक्स पे" पर तेजी से काम चल रहा है, जो स्विफ्ट नेटवर्क का एक विकल्प विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। वर्तमान में, रूस, चीन, भारत और ब्राज़ील अपने-अपने डिजिटल भुगतान तंत्र में मजबूत स्थिति रखते हैं, जिससे इस नेटवर्क की तकनीकी आधारशिला और मजबूत हो सकती है.
चुनौतियाँ और संभावनाएँ
रूस ने अक्टूबर 2024 में मॉस्को में "ब्रिक्स पे" का पहला प्रोटोटाइप प्रस्तुत किया। हालांकि, भारत के यूपीआई, चीन के CIPS, और ब्राज़ील के पिक्स जैसे प्लेटफार्मों के बीच आपसी संगतता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसके अतिरिक्त, चीन द्वारा अपनी मुद्रा को बढ़ावा देने की कोशिश और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की धमकियाँ इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रही हैं.
साझा मुद्रा की संभावना
हालांकि, एक साझा ब्रिक्स मुद्रा की संभावना अभी भी दूर की कौड़ी लगती है। इसका एक कारण यह है कि सदस्य देश अपनी-अपनी स्थानीय मुद्राओं को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में प्रमुखता देना चाहते हैं। इसके अलावा, साझा मुद्रा लाने के लिए व्यापक आर्थिक समन्वय की आवश्यकता है, जैसा कि यूरोपीय संघ में देखा गया है. वर्तमान में, ब्रिक्स पे पर सबसे अधिक ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, क्योंकि यह वैश्विक वित्त में महत्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत कर सकता है.
भविष्य की संभावनाएँ
इस प्रकार, ब्रिक्स समूह अपने वित्तीय हिस्सेदारी में स्वतंत्रता और संतुलन स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है, जो आने वाले वर्षों में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय समीकरणों को बदल सकता है। सदस्य देश इस पहल की सफलता के लिए रणनीतियाँ बना रहे हैं और नए वित्तीय विकल्पों को आकार दे रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह यात्रा कहाँ तक पहुँचती है और वैश्विक वित्त व्यवस्था पर इसका कितना प्रभाव पड़ता है.
