ब्रिटिश प्रधानमंत्री का बड़ा फैसला: पीटर मैंडेलसन को हटाया गया, जेफरी एपस्टीन के ईमेल्स का खुलासा

ब्रिटिश राजनीति में हलचल
ब्रिटिश राजनीति: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने गुरुवार को अमेरिका में तैनात राजदूत पीटर मैंडेलसन को उनके पद से हटा दिया। यह निर्णय तब लिया गया जब मीडिया में जेफरी एपस्टीन को भेजे गए उनके कुछ पुराने ईमेल सामने आए, जिससे उनके बीच गहरे संबंधों की आशंका जताई गई। इस घटना ने ब्रिटिश राजनीति में हलचल मचा दी है।
संसद में सरकार का बयान
हाउस ऑफ कॉमन्स में यूरोप और उत्तरी अमेरिका मामलों के लिए राज्य मंत्री स्टीफन डौटी ने कहा कि प्रधानमंत्री स्टारमर ने विदेश सचिव से इस मामले में त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। डौटी ने अपने बयान में बताया कि पीटर मैंडेलसन द्वारा भेजे गए ईमेल के प्रकाश में प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि अब इस पद पर बने रहना संभव नहीं है। इन ईमेल में जो जानकारियां सामने आईं, वे उनकी नियुक्ति के समय सरकार को ज्ञात नहीं थीं।
जेफरी एपस्टीन का विवाद
जेफरी एपस्टीन एक अमेरिकी फाइनेंसर थे, जिन्हें नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण और तस्करी के आरोपों में दोषी ठहराया गया था। 2019 में उनकी हिरासत में मौत हो गई थी, लेकिन उनके कथित उच्चस्तरीय राजनीतिक, व्यावसायिक और शाही संपर्क विवाद का विषय बने रहे। मैंडेलसन का नाम पहले भी एपस्टीन के साथ तस्वीरों और बैठकों में आने के कारण चर्चा में रहा है, लेकिन उन्होंने हमेशा किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल होने से इनकार किया है।
ईमेल से बढ़ी मुश्किलें
हाल ही में प्रकाशित ईमेल में मैंडेलसन को एपस्टीन से व्यक्तिगत और व्यावसायिक मुलाकातों के लिए आग्रह करते हुए देखा गया है। कुछ संदेशों में यह भी संकेत मिला कि दोनों के बीच वर्षों तक लगातार संपर्क बना रहा। इन ईमेल ने यह प्रश्न खड़ा कर दिया कि क्या मैंडेलसन ने अपनी नियुक्ति के समय सरकार से अपने एपस्टीन संबंधों की पूरी जानकारी छुपाई थी।
प्रधानमंत्री का निर्णय
प्रधानमंत्री स्टारमर ने इस विवाद को गंभीर मानते हुए कहा कि जनता का भरोसा बनाए रखना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि विदेश में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति की छवि और ईमानदारी पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए। सरकार के अनुसार, इस मामले में जांच भी शुरू की जा सकती है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि नियुक्ति प्रक्रिया में कोई चूक तो नहीं हुई।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
विपक्षी दलों ने इस घटना पर सरकार की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। कंज़र्वेटिव पार्टी ने मांग की है कि सरकार बताए कि मैंडेलसन की पृष्ठभूमि की जांच में इन ईमेल की जानकारी क्यों नहीं सामने आई। वहीं, लेबर पार्टी के कुछ सांसदों ने कहा कि प्रधानमंत्री का यह निर्णय आवश्यक था ताकि देश की साख और कूटनीतिक गरिमा बनी रहे।