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ब्रिटेन की नई नीति: भारतीय नागरिकों के लिए 'पहले निर्वासन, फिर अपील'

ब्रिटेन ने भारतीय नागरिकों के लिए एक नई नीति लागू की है, जिसके तहत उन्हें अपराध के दोषी पाए जाने पर पहले निर्वासित किया जाएगा और फिर अपील का अधिकार मिलेगा। इस निर्णय का उद्देश्य जेलों में भीड़ को कम करना और नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। जानें इस नीति के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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ब्रिटेन की नई नीति: भारतीय नागरिकों के लिए 'पहले निर्वासन, फिर अपील'

ब्रिटेन का नया निर्णय

UK Deportation Policy India : ब्रिटिश सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण और अप्रत्याशित निर्णय लिया है। भारत को उन 23 देशों की सूची में शामिल किया गया है, जिनके नागरिकों पर "पहले निर्वासन, फिर अपील" की नई नीति लागू होगी। इस नीति के तहत, यदि कोई भारतीय नागरिक ब्रिटेन में किसी अपराध का दोषी पाया जाता है, तो उसे पहले देश निकाला दिया जाएगा, और उसके बाद ही वह अपनी सज़ा के खिलाफ अपील कर सकेगा.


जेलों में भीड़ कम करने का उद्देश्य

मकसद, जेलों में भीड़ घटाने और सुरक्षा
ब्रिटिश सरकार के अनुसार, इस नीति का मुख्य उद्देश्य जेलों में भीड़ को कम करना और नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। नई व्यवस्था के तहत, अपराधी अब ब्रिटेन में रहकर अपील की प्रक्रिया को लंबा नहीं खींच सकेंगे। उन्हें अपने देश वापस भेजा जाएगा और वहीं से, वीडियो लिंक के माध्यम से, वे अपील की सुनवाई में भाग ले सकेंगे.


गंभीर अपराधियों के लिए अपवाद

आतंकवादियों और गंभीर अपराधियों को अपवाद
हालांकि, ब्रिटिश सरकार ने स्पष्ट किया है कि जो अपराधी आजीवन कारावास, हत्या या आतंकवाद जैसे गंभीर अपराधों में दोषी पाए गए हैं, उन्हें निर्वासित करने से पहले अपनी सज़ा पूरी करनी होगी. इन मामलों में यह नियम तुरंत लागू नहीं होगा.


भारत में निर्णय का अधिकार

भारत में निर्णय, जेल या रिहाई का
एक बार निर्वासन होने के बाद, उस व्यक्ति के साथ क्या व्यवहार किया जाएगा, यह पूरी तरह से भारत सरकार पर निर्भर करेगा। यदि ब्रिटेन से निर्वासित कोई भारतीय अपराधी भारत लौटता है, तो यह भारत तय करेगा कि उसे जेल भेजा जाए या रिहा किया जाए. ब्रिटेन में दोबारा प्रवेश की अनुमति उन्हें नहीं दी जाएगी.


पुरानी प्रणाली की तुलना

पहले कैसे था सिस्टम?
अब तक, भारत जैसे देशों के नागरिक ब्रिटेन में अपराध के दोषी होने के बावजूद मानवाधिकार कानूनों का हवाला देकर वहां अपील करते रहते थे और लंबे समय तक ब्रिटेन में रुक जाते थे। इससे न केवल कानूनी प्रक्रिया में देरी होती थी, बल्कि जेलों पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता था। अब इस नई नीति से यह प्रवृत्ति समाप्त हो सकती है.


23 देशों की सूची में भारत

23 देशों की सूची में भारत सहित कई नाम
ब्रिटेन ने पहले केवल 8 देशों – जैसे फिनलैंड, नाइजीरिया, एस्टोनिया, अल्बानिया आदि – पर यह नीति लागू की थी। अब इसमें भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बुल्गारिया, मलेशिया, इंडोनेशिया, केन्या, लेबनान आदि को भी जोड़ दिया गया है। इस तरह कुल 23 देशों पर यह कानून प्रभावी होगा. यह योजना सबसे पहले 2014 में कंज़र्वेटिव पार्टी के शासनकाल में शुरू की गई थी, जिसे अब 2023 में फिर से लागू किया गया है.


निष्कर्ष