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भागलपुर में महिलाओं के साथ 1.4 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला

भागलपुर के नवगछिया में एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें एक वसूली एजेंट ने महिलाओं से 1.4 करोड़ रुपये ठग लिए। यह घटना तब उजागर हुई जब बैंक ने महिलाओं को लोन की अदायगी में चूक के कारण नोटिस भेजा। महिलाओं का आरोप है कि एजेंट ने उन्हें आश्वस्त किया था कि उनका पैसा बैंक में जमा किया जा रहा है, जबकि वास्तविकता कुछ और थी। इस मामले ने स्थानीय बैंकिंग व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं और महिलाओं को गंभीर वित्तीय संकट में डाल दिया है।
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धोखाधड़ी का खुलासा

भागलपुर जिले के नवगछिया में एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसने न केवल स्थानीय बैंकिंग प्रणाली को सवालों के घेरे में डाल दिया है, बल्कि महिलाओं के भविष्य को भी संकट में डाल दिया है। एक वसूली एजेंट ने बैंक से ऋण लेने वाली महिलाओं से 1 करोड़ 40 लाख रुपये की ठगी की और फरार हो गया। यह घटना तब उजागर हुई जब बैंक ने इन महिलाओं को लोन की अदायगी में चूक के कारण नोटिस भेजा। इसके बाद महिलाएं बैंक कार्यालय पहुंचीं और हंगामा किया।


समाज उन्नति केंद्र नामक एक एनजीओ के माध्यम से इन महिलाओं को केनरा बैंक से ऋण दिया गया था, और हर महीने उनका भुगतान एजेंट के माध्यम से किया जाता था। महिलाओं का कहना है कि हर महीने की किस्त एजेंट के पास जमा की जाती थी, लेकिन धोखाधड़ी तब सामने आई जब बैंक ने लोन की अदायगी को लेकर नोटिस भेजा, जिससे महिलाओं को पता चला कि उनका पैसा जमा नहीं हुआ है।


महिलाओं का गुस्सा बैंक में फूट पड़ा और लगभग तीन दर्जन महिलाएं बैंक प्रबंधक के चैंबर में घुस गईं, जहां उन्होंने जमकर हंगामा किया। उनके अनुसार, एजेंट ने उन्हें आश्वस्त किया था कि उनका पैसा बैंक में जमा किया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही थी। महिलाओं ने आरोप लगाया कि बैंक के मैनेजर और एजेंट के बीच मिलीभगत से यह धोखाधड़ी हुई है।


बैंक के मैनेजर इमरान सिद्दीकी ने इस मामले की जानकारी दी और बताया कि कुल 95 लोन महिलाओं को दिए गए थे। उन्होंने कहा कि एनजीओ के एजेंट अमरेश और संजीत नियमित रूप से महिलाओं से किस्तें इकट्ठा करते थे और उन्हें बैंक में जमा करते थे। हालांकि, एक साल बाद यह सामने आया कि एजेंटों ने कुछ किस्तें बैंक में जमा नहीं कीं, जिसके कारण खातों की स्थिति 'एलपी' हो गई है। इसका असर महिलाओं के सिविल स्कोर पर भी पड़ा है।


यह घटना स्पष्ट करती है कि स्थानीय बैंकिंग व्यवस्था और एनजीओ के बीच विश्वास की कमी ने महिलाओं को गंभीर वित्तीय संकट में डाल दिया है। यह धोखाधड़ी न केवल उन महिलाओं के लिए समस्या बनी है, बल्कि पूरे क्षेत्र में वित्तीय संस्थाओं पर भी सवाल उठाए हैं। यह मामला इस बात को भी उजागर करता है कि गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर बिना पर्याप्त निगरानी के ऋण वितरण और वसूली की प्रक्रियाएं चलती हैं, जिससे ऐसे धोखाधड़ी के मामले सामने आते हैं।