भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन: नए अध्यक्ष की तलाश में पार्टी की सक्रियता

भाजपा का संगठनात्मक ढांचा पुनर्संयोजित करने की प्रक्रिया
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब अपने संगठनात्मक ढांचे को पुनर्गठित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं और जून के मध्य तक औपचारिक प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। हालांकि, इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन विभिन्न राज्यों में संगठनात्मक चुनावों के संपन्न होने से यह संकेत मिल रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व जल्द ही निर्णय ले सकता है।
राज्य स्तर पर प्राथमिकता
राज्य स्तर पर पुनर्गठन पहले
भाजपा ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में राज्य अध्यक्षों की नियुक्ति को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश में, जहां जातीय समीकरण महत्वपूर्ण होते हैं, पहले ब्राह्मण नेता के नाम पर विचार चल रहा था, लेकिन अब पार्टी में ओबीसी समुदाय से नेता को सामने लाने की मांग तेज़ हो गई है। यह बदलाव भाजपा की ओबीसी वोटबैंक को और सशक्त करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
मध्य प्रदेश में फिलहाल एक ओबीसी मुख्यमंत्री और ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष का संतुलन बना हुआ है। लेकिन अब सूत्रों के अनुसार, पार्टी एक आदिवासी नेता को प्रदेश प्रमुख के तौर पर नियुक्त करने की संभावना पर विचार कर रही है, जिससे आदिवासी समुदाय को बेहतर प्रतिनिधित्व मिल सके। उत्तराखंड में भी एक ब्राह्मण नेता को अध्यक्ष पद के लिए प्रमुख दावेदार माना जा रहा है।
भाजपा अध्यक्ष पद के लिए प्रमुख दावेदार
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में शीर्ष 3 दावेदार
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, जो ओडिशा के एक प्रमुख ओबीसी नेता हैं, अपने संगठनात्मक कौशल और केंद्रीय नेतृत्व के साथ निकटता के लिए जाने जाते हैं, पार्टी के अध्यक्ष पद की दौड़ में प्रमुख नेताओं में से एक माने जा रहे हैं।
शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री, भी एक और शीर्ष दावेदार के रूप में उभरे हैं। उन्हें जमीनी स्तर का अनुभव रखने वाले एक जन नेता के रूप में देखा जाता है।
मनोहर लाल खट्टर, जो हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री से केंद्रीय मंत्रिमंडल में आए हैं, निरंतरता और प्रशासनिक अनुभव का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं; इसलिए, कहा जा रहा है कि वह उन तीन बड़े नामों में से एक हैं, जिन्हें भाजपा चुन सकती है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी की अंतिम पसंद में संगठनात्मक अनुभव, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और जातिगत संतुलन को ध्यान में रखा जाएगा।
जेपी नड्डा का कार्यकाल
जेपी नड्डा का कार्यकाल अंतिम चरण में
वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जनवरी 2020 से इस पद पर हैं। उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव तक अध्यक्ष बने रहने के लिए विस्तार दिया गया था। अब जबकि आम चुनाव हो चुके हैं, नई नियुक्ति की प्रक्रिया को गति दी जा रही है। उम्मीद है कि जल्द ही एक केंद्रीय चुनाव समिति गठित होगी, जो नामांकन, जांच और मतदान जैसे सभी चरणों की निगरानी करेगी।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष की पैनी नजर
विपक्षी दल, विशेष रूप से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष 2026 के विधानसभा चुनावों और 2029 के आम चुनावों के लिहाज से पार्टी की रणनीति और नेतृत्व को आकार देगा। ऐसे में यह बदलाव न केवल पार्टी के भीतर बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के परिप्रेक्ष्य में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।