भारत 2026 में ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालेगा: वैश्विक चुनौतियों के बीच नई दिशा
भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता का आगाज़
भारत 1 जनवरी से आधिकारिक रूप से ब्रिक्स की अध्यक्षता ग्रहण करने जा रहा है। यह निर्णय 11 और 12 दिसंबर को ब्राजीलिया में आयोजित ब्रिक्स शेरपाओं की बैठक के बाद लिया गया, जिसमें भारत को 2026 के लिए अध्यक्षता सौंपी गई। इस समय, जब ट्रंप का दूसरा कार्यकाल वैश्विक व्यापार और कूटनीति में अनिश्चितता पैदा कर रहा है, भारत ने स्पष्ट किया है कि उसकी अध्यक्षता लचीलापन, नवाचार, सहयोग, सतत विकास और मूल सिद्धांतों पर केंद्रित होगी।
ब्राजील से भारत को मिली यह जिम्मेदारी केवल एक औपचारिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह वर्तमान अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में एक मजबूत राजनीतिक और रणनीतिक संकेत भी है। चौथे ब्रिक्स शेरपा सम्मेलन के समापन सत्र में, 12 दिसंबर, 2025 को ब्राजील ने औपचारिक रूप से ब्रिक्स की अध्यक्षता भारत को सौंप दी।
ब्रिक्स की परिभाषा
ब्रिक्स एक समूह है जिसमें प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं, जैसे कि ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका। इसका मुख्य उद्देश्य विकास, व्यापार, वित्त और वैश्विक शासन सुधार के क्षेत्रों में वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। ब्रिक्स की अध्यक्षता हर साल सदस्य देशों के बीच बारी-बारी से होती है।
पदभार ग्रहण समारोह
ब्राजील के शेरपा राजदूत मॉरीशियो लिरियो ने भारत के शेरपा राजदूत सुधाकर दलेला को ब्रिक्स की प्रतीकात्मक गदा सौंपी। यह समारोह चौथे शेरपा सम्मेलन के समापन पर आयोजित हुआ।
यह गदा आधिकारिक नेतृत्व और जिम्मेदारी के हस्तांतरण का प्रतीक है। हालांकि यह समारोह मध्य दिसंबर में हुआ, ब्राजील 31 दिसंबर, 2025 तक ब्रिक्स का अध्यक्ष बना रहेगा।
ब्रिक्स की प्राथमिकताएं
अपनी अध्यक्षता के दौरान, ब्राज़ील ने छह प्रमुख क्षेत्रों को प्राथमिकता दी है:
1. वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग
2. जलवायु परिवर्तन
3. व्यापार, निवेश और वित्त
4. शांति और सुरक्षा के लिए बहुपक्षीय ढांचा
5. कृत्रिम बुद्धिमत्ता का शासन
6. ब्रिक्स का संस्थागत विकास
