Newzfatafatlogo

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता: सहमति के बिना लौटे प्रतिनिधि, टैरिफ और डिजिटल नियम बने मुख्य मुद्दे

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता हाल ही में बिना किसी ठोस सहमति के समाप्त हुई। मुख्य विवाद टैरिफ ढांचे, डिजिटल नियमों और बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर हैं। अमेरिका ने भारत से विभिन्न वस्तुओं पर टैरिफ घटाने की मांग की है, जबकि भारत का कहना है कि इससे घरेलू उद्योगों को नुकसान होगा। इसके अलावा, कृषि उत्पादों की पहुंच, सरकारी खरीद नीतियों और वीज़ा नियमों पर भी चर्चा हुई। जानें इस वार्ता के प्रमुख मुद्दे और आगे की संभावनाएं।
 | 
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता: सहमति के बिना लौटे प्रतिनिधि, टैरिफ और डिजिटल नियम बने मुख्य मुद्दे

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता का हाल

इंटरनेशनल न्यूज़: भारत का प्रतिनिधिमंडल, जो एक लंबे समय से लंबित व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने के लिए वॉशिंगटन गया था, बिना किसी ठोस सहमति के वापस लौट आया है। मुख्य विवाद टैरिफ ढांचे, नियामक बाधाओं और बौद्धिक संपदा की मांगों को लेकर हैं। इस सप्ताह की बहुप्रतीक्षित इंडिया-यूएस ट्रेड वार्ता बिना किसी महत्वपूर्ण परिणाम के समाप्त हुई, क्योंकि प्रमुख मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं। वाणिज्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की अगुवाई में भारतीय टीम ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकें कीं।


टैरिफ पर मतभेद

अमेरिका चाहता है कि भारत विभिन्न वस्तुओं पर टैरिफ को कम करे, खासकर कृषि उत्पादों, मेडिकल उपकरणों और टेक आयात पर। भारत का मानना है कि ऐसा करने से घरेलू उद्योगों और खाद्य सुरक्षा को खतरा होगा। भारत ने कई व्यापार-सुलभ कदम उठाए हैं, लेकिन अमेरिका से अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिली। यही कारण है कि यह मुद्दा दोनों देशों के संबंधों में सबसे जटिल बना हुआ है।


डिजिटल नियमों पर आपत्ति

अमेरिका ने भारत के डिजिटल नियमों पर चिंता व्यक्त की, जिसमें डेटा लोकलाइजेशन और ई-कॉमर्स नीति शामिल हैं। अमेरिकी कंपनियों का मानना है कि ये नियम प्रतिस्पर्धा को बाधित करते हैं। भारत इन नीतियों को उपभोक्ता संरक्षण और डेटा संप्रभुता के लिए आवश्यक बताता है। दोनों देशों के बीच डिजिटल निर्भरता बढ़ने के साथ ये टकराव भी गहरा हो गया है। भारत ने डेटा गवर्नेंस पर चरणबद्ध संवाद का प्रस्ताव दिया, लेकिन कोई संयुक्त बयान नहीं आया।


बौद्धिक संपदा अधिकारों पर चर्चा

बौद्धिक संपदा अधिकारों पर बहस फिर से तेज हो गई, खासकर दवाओं और टेक क्षेत्र के संदर्भ में। अमेरिका चाहता है कि भारत आईपी कानूनों को और सख्त करे। भारत का कहना है कि उसकी नीतियां WTO मानकों के अनुरूप हैं और सस्ती दवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करती हैं। भारत ने वैक्सीन निर्माण में अपनी वैश्विक भूमिका को भी दोहराया, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।


कृषि पर टकराव

अमेरिका चाहता है कि उसके कृषि उत्पादों को भारत में अधिक पहुंच मिले, जिसमें डेयरी और जीएम फसलें शामिल हैं। भारत ने खाद्य सुरक्षा और किसानों के हितों का हवाला देते हुए ऐतराज़ जताया। अमेरिकी पक्ष का कहना है कि नीति विज्ञान आधारित होनी चाहिए, न कि संरक्षणवादी। दोनों पक्ष तकनीकी स्तर पर चर्चा जारी रखने पर सहमत हुए, लेकिन यह स्पष्ट है कि कृषि उदारीकरण इतनी जल्दी नहीं हो पाएगा।


सरकारी खरीद और सब्सिडी पर चर्चा

सरकारी खरीद नीतियों और सब्सिडी सीमा पर भी गहन चर्चा हुई। अमेरिका चाहता है कि उसके व्यवसायों को भारत में समान अवसर मिलें। भारत ने WTO नियमों और अपने विकासशील देश के दर्जे का हवाला दिया। भारतीय पक्ष का कहना है कि सरकारी खरीद की नीतियों से स्थानीय एमएसएमई को फायदा मिलना चाहिए। कृषि और ऊर्जा में सब्सिडी ढांचे पर भी बात हुई, लेकिन केवल फ्रेमवर्क तक ही सहमति बनी।


वीज़ा नियमों पर चर्चा

भारत ने कुशल पेशेवरों, विशेषकर आईटी और इंजीनियरिंग क्षेत्र के लिए वीज़ा नियमों में ढील की मांग की। अमेरिका ने इस मुद्दे को स्वीकार किया लेकिन घरेलू कानूनी बाधाओं का हवाला दिया। भारतीय कंपनियों ने वीज़ा प्रोसेस में देरी और कठिन शर्तों की शिकायत की। दोनों पक्षों ने इस पर फिर से चर्चा करने की बात की, लेकिन कोई समयसीमा तय नहीं हुई। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना रहेगा।


अगली बैठक की तारीख तय नहीं

बातचीत सौहार्दपूर्ण रही, लेकिन अगली बैठक की तारीख तय नहीं हो सकी। दोनों देश अब आंतरिक समीक्षा करेंगे। रोडमैप की कमी ने डील की प्रगति को लेकर संदेह बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के राजनीतिक कार्यक्रम अब देरी का कारण बन सकते हैं। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि संवाद जारी रहेगा। इस महीने के अंत में एक संयुक्त बयान आने की उम्मीद है।