भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापारिक संबंधों में नई ऊर्जा का संचार
अफगानिस्तान के वाणिज्य मंत्री की भारत यात्रा
अफगानिस्तान के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री अलहाज नूरुद्दीन अज़ीज़ी की हालिया यात्रा ने भारत और अफगानिस्तान के बीच लंबे समय से ठंडे पड़े आर्थिक संबंधों में नई जान फूंक दी है। अज़ीज़ी ने बताया कि भारत के साथ वीज़ा संबंधी मुद्दा सुलझा लिया गया है, जिससे अब अफगान व्यापारी और आम नागरिक काबुल स्थित भारतीय दूतावास से आसानी से व्यापारिक और चिकित्सा वीज़ा प्राप्त कर सकेंगे। यह पहली बार है जब तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत और अफगानिस्तान के संबंधों में इस स्तर की प्रगति हुई है। काबुल ने व्यापारिक उड़ानों, एयर कॉरिडोर को सस्ता बनाने और कपड़ा उद्योग में सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया है.
कपड़ा व्यापार को बढ़ावा देने की बैठक
सोमवार को भारत और अफगानिस्तान के बीच कपड़ा व्यापार को बढ़ाने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें अफगानिस्तान ने भारत की कपास और परिधान क्षेत्र की विशेषज्ञता का लाभ उठाने की इच्छा व्यक्त की। भारत वर्तमान में अफगानिस्तान के लिए कपड़ा और परिधान का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इसके अलावा, अज़ीज़ी ने भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की और व्यापार को 1 अरब डॉलर से अधिक ले जाने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों देशों ने वीज़ा, उड़ान, बैंकिंग, व्यापार मार्ग, एफएसएसएआई शुल्क में छूट, संयुक्त वाणिज्य मंडल और कार्य समूह को सक्रिय करने सहित कई बाधाओं को हल करने पर सहमति जताई।
अफगानिस्तान के नए व्यापारिक अवसर
अज़ीज़ी ने यह भी बताया कि अफगानिस्तान भारत को खनन, कृषि, स्वास्थ्य और निवेश क्षेत्रों में नए अवसर प्रदान करना चाहता है। पाकिस्तान के साथ हालिया सीमा तनाव और व्यापार रोक के बीच, अफगानिस्तान ने यह स्पष्ट किया कि वह भारत सहित किसी भी देश के साथ विविधीकृत, सुरक्षित और दीर्घकालिक व्यापारिक मार्गों की तलाश कर रहा है।
अफगानिस्तान-भारत संबंधों का नया अध्याय
अफगान वाणिज्य मंत्री नूरुद्दीन अज़ीज़ी की भारत यात्रा केवल एक औपचारिकता नहीं थी; यह दक्षिण एशिया के रणनीतिक मानचित्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत है। वर्षों की राजनीतिक अनिश्चितता और सुरक्षा चिंताओं के कारण जो आर्थिक गलियारे बाधित थे, वे अब खुलते दिखाई दे रहे हैं। अज़ीज़ी का यह बयान कि 'वीज़ा का मुद्दा हल हो गया है' केवल वीज़ा सुविधा की सूचना नहीं है, बल्कि बदलते माहौल की घोषणा है।
भारत और अफगानिस्तान के ऐतिहासिक संबंध
भारत और अफगानिस्तान के बीच ऐतिहासिक संबंध हमेशा गर्मजोशी के रहे हैं, लेकिन तालिबान के सत्ता में आने के बाद यह रिश्ता अनिश्चितता में पड़ गया था। अज़ीज़ी की यात्रा में वीज़ा और उड़ानों का पुनर्संचालन तथा कपड़ा, खनन, कृषि और चिकित्सा क्षेत्र में नई साझेदारियाँ विशेष रूप से उभरीं। अफगानिस्तान के लिए भारत की चिकित्सा सुविधाएँ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
पाकिस्तान पर निर्भरता का टूटना
अफगानिस्तान की भारत के प्रति बढ़ती सकारात्मकता का सबसे बड़ा सामरिक प्रभाव पाकिस्तान पर पड़ता है। हालिया सीमा संघर्ष और व्यापार रोक इस बात का प्रमाण है कि पाकिस्तान पर निर्भरता कितनी जोखिमपूर्ण है। अफगानिस्तान का यह बयान कि भारत 'बेहतर गुणवत्ता और बेहतर शर्तों' वाला साझेदार है, इस निर्भरता के टूटने की शुरुआत है।
क्षेत्रीय सहयोग का महत्व
भारत-अफगानिस्तान की बढ़ती साझेदारी केवल द्विपक्षीय लाभ तक सीमित नहीं है; इसके प्रभाव क्षेत्रीय हैं। मध्य एशिया, ईरान और अफगानिस्तान में सहयोग भारत की दीर्घकालिक 'कनेक्ट सेंट्रल एशिया' नीति की आधारशिला है।
तालिबान की नई रणनीति
तालिबान अपने राजनयिक विकल्पों को व्यापक बनाना चाहता है और पाकिस्तान पर निर्भरता से निकलने का मार्ग भारत के साथ बेहतर संबंधों से होकर ही जाता है। अज़ीज़ी ने बार-बार कहा कि अफगानिस्तान 'व्यवसाय के लिए खुला' है और भारतीय कंपनियाँ वहां सुरक्षित रूप से कार्य कर सकती हैं।
भारत का केंद्रीय भूमिका निभाना
अज़ीज़ी की यात्रा एक प्रतीक है, एक ऐसे अफगानिस्तान की जो पाकिस्तान की छाया से बाहर निकलकर बहु-आयामी साझेदारियों की तरफ बढ़ना चाहता है। भारत, जो परंपरागत रूप से अफगान जनता का विश्वसनीय मित्र रहा है, उसके लिए यह अवसर है कि वह अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण, आर्थिक स्थिरता और क्षेत्रीय शांति में केंद्रीय भूमिका निभाए।
भारत और अफगानिस्तान के बीच संवाद की नींव
अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की हालिया सफल भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच संवाद की जमीनी नींव तैयार कर दी थी। वाणिज्य मंत्री नूरुद्दीन अज़ीज़ी की यह यात्रा भी अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुई। दोनों उच्चस्तरीय अफगान यात्राओं ने न केवल संवाद की रुकावटें दूर कीं, बल्कि भारत-अफगानिस्तान संबंधों में एक नए 'विश्वास बहाली चरण' की शुरुआत भी की।
