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भारत की 8% से अधिक आर्थिक वृद्धि: RBI गवर्नर का बयान

भारत ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच 8 प्रतिशत से अधिक की आर्थिक वृद्धि दर हासिल की है, जैसा कि RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया। उन्होंने घरेलू मांग की भूमिका, मुद्रास्फीति में कमी, और रुपये की स्थिरता पर भी चर्चा की। जानें इस महत्वपूर्ण आर्थिक स्थिति के बारे में और क्या कहा गया।
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भारत की 8% से अधिक आर्थिक वृद्धि: RBI गवर्नर का बयान

भारत की आर्थिक वृद्धि दर

नई दिल्ली: वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और भू-राजनीतिक तनावों के बीच, भारत ने 8 प्रतिशत से अधिक की प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि दर दर्ज की है। यह जानकारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की वार्षिक बैठक में साझा की।


आर्थिक स्थिरता का आधार

मल्होत्रा ने बताया कि भारत एक घरेलू मांग पर आधारित अर्थव्यवस्था है, जिससे अमेरिकी टैरिफ विवाद या वैश्विक व्यापार में मंदी का सीमित प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद, भारत ने तेजी से सुधार किया है और वैश्विक स्तर पर एक मजबूत स्थिति बनाई है।


मुद्रास्फीति और घाटे पर नियंत्रण

मुद्रास्फीति नियंत्रण और घाटे पर काबू
RBI गवर्नर ने बताया कि भारत ने मुद्रास्फीति को 8 प्रतिशत से घटाकर 1.5 प्रतिशत तक लाने में सफलता प्राप्त की है, जो पिछले आठ वर्षों में सबसे कम है। उन्होंने कहा कि तेल की कीमतों में कमी ने इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


राजकोषीय स्थिति

इसके अतिरिक्त, भारत का राजकोषीय घाटा नियंत्रण में है, और केंद्र सरकार का घाटा GDP का 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। मल्होत्रा ने कहा कि भारत का कुल कर्ज वैश्विक स्तर पर सबसे कम में से एक है, और सरकार तथा वित्तीय संस्थानों के बीच बेहतर समन्वय ने इसे संभव बनाया है।


रुपये की स्थिरता

उन्होंने यह भी बताया कि जबकि अमेरिकी डॉलर में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है, भारतीय रुपये में इतनी गिरावट नहीं आई। इसका श्रेय भारत की सतर्क नीतियों और पूंजी प्रवाह के प्रबंधन को दिया गया है। मल्होत्रा ने कहा कि रुपये की स्थिरता भारत की प्राथमिकता है।


भारत की नीतिगत स्थिरता

उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत के पूंजी बाजार गहरे और सशक्त हैं, जो अर्थव्यवस्था को अतिरिक्त स्थिरता और लचीलापन प्रदान करते हैं। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारत की नीतिगत स्थिरता, नियंत्रित मुद्रास्फीति और मजबूत घरेलू मांग ने इसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी स्थान दिलाया है।