भारत की आर्थिक स्थिति: इजराइल-ईरान संघर्ष के प्रभाव और तेल की कीमतों में गिरावट

वित्त मंत्रालय की मासिक समीक्षा
वित्त मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इजराइल और ईरान के बीच हुए संक्षिप्त युद्ध के चलते तेल की कीमतों में आई तेजी अब कम हो गई है, लेकिन स्थिति को सामान्य मानना जल्दबाजी होगी।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत की वृहद-आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है, क्योंकि यहां कोई बड़ा असंतुलन नहीं है, मुद्रास्फीति की दर में कमी आई है और मौद्रिक नीति वृद्धि को समर्थन दे रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, इजराइल-ईरान संघर्ष और अमेरिकी हस्तक्षेप के कारण कच्चे तेल की कीमतों में अचानक वृद्धि हुई। मंत्रालय ने कहा कि यदि हालात ऐसे ही बने रहते, तो भारत की आर्थिक वृद्धि और राजकोषीय संभावनाओं को खतरा हो सकता था। लेकिन युद्धविराम के बाद तेल की कीमतों में तेजी से गिरावट आई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर तेल की आपूर्ति पर्याप्त है, लेकिन बीमा लागत और मार्ग अवरुद्ध होने के संभावित खतरों के कारण कीमतों में फिर से वृद्धि हो सकती है।
हालांकि, भारत के लिए यह जोखिम कम हो गया है, लेकिन वर्ष के शेष समय के लिए स्थिति को सामान्य मानना जल्दबाजी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें आने वाले समय में संतुलन बनाए रखने की आदत डालनी होगी, जिसमें भारत कई अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है।
समीक्षा रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था को घबराहट से भरा लेकिन रोमांचक समय बताते हुए कहा गया है कि भू-राजनीति हमें ऐसे अवसर प्रदान कर सकती है, जो पहले असंभव लगते थे। यह हम पर निर्भर करता है कि हम चुनौतियों का सामना करने के लिए कितने लचीले बने रहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आर्थिक गति बढ़ रही है, जो घरेलू वृद्धि को बनाए रखते हुए जटिल वैश्विक चुनौतियों का सामना करने की क्षमता को दर्शाती है।