भारत की कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंध: ईरानी पेट्रोकेमिकल व्यापार पर प्रभाव

अमेरिका का नया कदम भारत के लिए चुनौती
भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा ने नई दिल्ली और पूरे दक्षिण एशिया में हलचल मचा दी है। यह कदम अमेरिका द्वारा भारत और रूस के बीच बढ़ती नजदीकी के जवाब में उठाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से भारत और रूस के संबंधों पर लगातार बयानबाजी की जा रही है। इसके अलावा, पाकिस्तान के साथ तेल व्यापार को लेकर भी अमेरिका ने संकेत दिए हैं।
हालांकि, अब अमेरिका ने भारत की कुछ कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं।
अमेरिकी प्रशासन ने ईरानी मूल के पेट्रोकेमिकल उत्पादों की बिक्री और खरीद में संलग्न छह भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है।
अमेरिकी विदेश विभाग ने यह जानकारी दी है कि ये कंपनियां अब अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में आ गई हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने ईरानी पेट्रोलियम और पेट्रोकैमिकल्स का व्यापार किया है, जो कि अमेरिकी नियमों का उल्लंघन है।
कंपनियों पर लगे प्रतिबंध
अमेरिका के अनुसार, इन भारतीय कंपनियों ने ईरानी मेथनॉल, पॉलीइथाइलीन, टोल्यूनि और अन्य पेट्रोकेमिकल डेरिवेटिव्स में लाखों डॉलर का लेन-देन किया है। जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें शामिल हैं:
1. अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड: 84 मिलियन डॉलर (जनवरी-दिसंबर 2024)
2. ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड: 51 मिलियन डॉलर (जुलाई 2024-जनवरी 2025)
3. जुपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड: 49 मिलियन डॉलर (जुलाई 2024-जनवरी 2025)
4. रमणिकलाल एस गोसालिया एंड कंपनी: 22 मिलियन डॉलर
5. पर्सिस्टेंट पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड: 14 मिलियन डॉलर (अक्टूबर-दिसंबर 2024)
6. कंचन पॉलिमर्स: 1.3 मिलियन डॉलर
प्रतिबंधों का महत्व
ये प्रतिबंध अमेरिका की बढ़ती निगरानी को दर्शाते हैं, जो ईरान को उसके परमाणु और क्षेत्रीय गतिविधियों से जुड़े आर्थिक प्रतिबंधों से बचने में मदद करते हैं। भारत के लिए, यह कदम उसकी रासायनिक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित कर सकता है और वैश्विक व्यापार संबंधों को जटिल बना सकता है। कंपनियों को परिचालन संबंधी बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, विशेषकर यदि वे अमेरिका से संबंधित बैंकिंग और शिपिंग सेवाओं पर निर्भर हैं। यह घटनाक्रम अमेरिका की एकतरफा प्रतिबंध नीतियों को लागू करने की मंशा को स्पष्ट करता है।