भारत की समुद्री रणनीति: दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ती तैनाती

भारत की नई समुद्री रणनीति
दक्षिण चीन सागर और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच, भारत ने अपनी समुद्री रणनीति को और मजबूत किया है। भारतीय नौसेना ने अपनी तैनाती को बढ़ाते हुए दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की ओर ध्यान केंद्रित किया है। इस क्रम में, भारत के तीन युद्धपोत फिलीपींस की राजधानी मनीला पहुंचे हैं, जबकि एक अन्य युद्धपोत सिंगापुर की नौसेना के साथ एक संयुक्त अभ्यास में भाग ले रहा है। यह कदम भारत की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने के साथ-साथ चीन के प्रभाव को संतुलित करना चाहता है.
फिलीपींस में भारतीय युद्धपोतों की तैनाती
फिलीपींस में भारतीय युद्धपोतों की तैनाती भारत-फिलीपींस रक्षा संबंधों को नई दिशा देने का महत्वपूर्ण कदम है। INS दिल्ली, INS किलटन और INS शक्ति मनीला में भारतीय नौसेना द्वारा भेजे गए हैं, जिनका नेतृत्व ईस्टर्न फ्लीट के कमांडर रियर एडमिरल सुशील मेनन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और फिलीपींस दोनों समुद्री क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आने वाले दिनों में, दोनों देशों की नौसेनाएं एक द्विपक्षीय अभ्यास में भाग लेंगी, जिसमें संयुक्त अभ्यास, संचार प्रणाली, और रणनीतिक समन्वय पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
सिंगापुर के साथ 'सिमबेक्स' अभ्यास
सिंगापुर के साथ 'सिमबेक्स' में INS सतपुड़ा की भागीदारी
भारतीय स्टील्थ फ्रिगेट INS सतपुड़ा 32वें 'सिमबेक्स' अभ्यास में सिंगापुर नेवी के साथ भाग ले रहा है। यह अभ्यास भारत और सिंगापुर के बीच लंबे समय से चले आ रहे रक्षा संबंधों का प्रतीक है। इसमें हवाई सुरक्षा, हेलिकॉप्टर की क्रॉस-डेक उड़ानें, सतही और हवाई लक्ष्यों पर निशाना साधना, जटिल युद्धाभ्यास और 'विज़िट, बोर्ड, सर्च एंड सीज़र' (VBSS) जैसी आधुनिक नौसैनिक तकनीकों का प्रदर्शन किया जा रहा है.
रक्षा निर्यात की तैयारी
ब्रह्मोस के बाद बढ़ी रक्षा निर्यात की तैयारी
भारत की दक्षिण-पूर्व एशिया में रक्षा भागीदारी केवल युद्धपोतों की तैनाती तक सीमित नहीं है। जनवरी 2022 में, भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल की तीन तटीय बैटरियां 375 मिलियन डॉलर में बेचने का समझौता किया था। इसके बाद, भारत इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे आसियान देशों को भी रक्षा उपकरण बेचने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसके तहत, भारत अब 'आकाश' मिसाइल प्रणाली को भी इन देशों को निर्यात करने की योजना बना रहा है, जो दुश्मन के विमान, हेलिकॉप्टर, ड्रोन और क्रूज़ मिसाइल को 25 किलोमीटर की दूरी तक मार गिराने में सक्षम है.
सामरिक सहयोग और विश्वास
रणनीतिक सहयोग से बढ़ती विश्वास की डोर
इस तरह के सैन्य और सामरिक अभ्यास केवल तकनीकी प्रदर्शन नहीं हैं, बल्कि ये साझेदार देशों के बीच विश्वास और तालमेल को मजबूत करने का एक माध्यम भी हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जहां सामरिक खींचतान चरम पर है, भारत की यह तैनाती यह स्पष्ट करती है कि वह क्षेत्रीय स्थिरता और समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर न केवल गंभीर है बल्कि सक्रिय भी है। इससे भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति को भी नई दिशा मिलती है.