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भारत के अमीरों के विदेश पलायन के कारणों पर नई दृष्टि

भारत के अमीरों के विदेश पलायन की चर्चा में वायु प्रदूषण और सुविधाओं की कमी को मुख्य कारण बताया जाता है। लेकिन अर्थशास्त्री संजीव सान्याल का कहना है कि इसका असली कारण व्यापारिक क्षेत्र में बदलाव की कमी और प्रतिस्पर्धा का अभाव है। उन्होंने बताया कि युवा उद्यमियों में जोखिम लेने की प्रवृत्ति है, जबकि पुराने कारोबारी सुरक्षित निवेश की ओर बढ़ रहे हैं। जानें कि भारत को आगे बढ़ने के लिए क्या कदम उठाने की आवश्यकता है और क्यों करोड़पतियों का पलायन चिंता का विषय है।
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भारत के अमीरों के विदेश पलायन के कारणों पर नई दृष्टि

भारत में अमीरों का पलायन: एक नई सोच


भारत के धनवानों के विदेश जाने और वहां बसने की चर्चा अक्सर होती है, जिसमें वायु प्रदूषण और बुनियादी सुविधाओं की कमी को मुख्य कारण बताया जाता है। हालांकि, मोदी सरकार इसे कुछ और तरीके से देखती है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य और जाने-माने अर्थशास्त्री संजीव सान्याल का मानना है कि इसका कारण केवल बेहतर जीवन स्तर या कराधान नहीं है, बल्कि देश के बड़े उद्योगपतियों में बदलाव की कमी और प्रतिस्पर्धा का अभाव भी एक महत्वपूर्ण कारण है।


विदेश में बसने के पीछे के कारण

सान्याल ने कहा कि भारत में बड़े उद्योगों और कारोबारी घरानों में वही पुराने चेहरे लंबे समय से हावी हैं, जिससे नई कंपनियों और व्यक्तियों को आगे बढ़ने के अवसर कम मिलते हैं। जब किसी देश के व्यापार क्षेत्र में नई सोच और चेहरे नहीं आते, तो नवाचार भी प्रभावित होता है। ऐसे में कई अमीर लोग अपने व्यवसाय और निवेश को विदेश में सुरक्षित समझते हैं।


उन्होंने यह भी बताया कि कई पुराने कारोबारी जोखिम लेने से कतराते हैं और अपने लाभ को बचाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिसके कारण वे दुबई जैसे देशों में परिवार कार्यालय या निवेश केंद्र स्थापित कर लेते हैं। यह समस्या केवल भारत में नहीं, बल्कि कई अन्य देशों में भी देखी जा सकती है।


नवीनता और रिसर्च में निवेश की आवश्यकता

सान्याल ने कहा कि बड़े उद्योगों को अनुसंधान और नई तकनीक में अधिक निवेश करना चाहिए, लेकिन ऐसा बहुत कम हो रहा है। कई कंपनियां कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी पर खर्च करती हैं, लेकिन वास्तविक उत्पादन, तकनीक और अनुसंधान में निवेश कम होता है, जिससे देश की आर्थिक ताकत कमजोर होती है।


युवा उद्यमियों की जोखिम लेने की प्रवृत्ति

उन्होंने भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम की सराहना करते हुए कहा कि युवा उद्यमी, विशेषकर बेंगलुरु जैसे शहरों में, जोखिम लेने से नहीं डरते। यही कारण है कि स्टार्टअप क्षेत्र में तेजी से नए विचार और कंपनियां उभर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह सोच बड़े उद्योगों में भी आनी चाहिए।


असफलता को स्वीकार करने की आवश्यकता

सान्याल ने कहा कि किसी भी मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए असफलता को स्वीकार करना आवश्यक है। यदि कोई बड़ी कंपनी सफल नहीं हो रही है, तो उसे बंद होने देना चाहिए ताकि नई कंपनियों को अवसर मिल सके। उन्होंने जेट एयरवेज और बैंकिंग संकट का उदाहरण देते हुए कहा कि पुराने सिस्टम के टूटने से नए अवसर उत्पन्न होते हैं।


भारत की प्रगति के लिए आवश्यक कदम

उन्होंने अंत में कहा कि यदि भारत को आगे बढ़ना है, तो व्यापार क्षेत्र में निरंतर बदलाव, नई सोच और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता है। तभी देश में निवेश बढ़ेगा और करोड़पतियों का पलायन रुकेगा। उल्लेखनीय है कि हेनले एंड पार्टनर्स की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 3,500 करोड़पति भारत छोड़ने की योजना बना रहे हैं।