भारत के नए लेबर कोड से रोजगार में वृद्धि और उपभोग में सुधार
नए लेबर कोड का प्रभाव
नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, नए लेबर कोड के लागू होने के बाद बेरोजगारी दर में 1.3 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। यह बदलाव एक छोटे ट्रांजीशन चरण के बाद मीडियम टर्म में देखने को मिलेगा। हालांकि, इस प्रभाव की सफलता कई कारकों पर निर्भर करेगी, जैसे कि सुधारों का कार्यान्वयन, फर्म स्तर पर समायोजन लागत और संबंधित राज्य स्तर के नियम।
रोजगार सृजन की संभावनाएं
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट 60.1 प्रतिशत है, और शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में औसत कार्यरत जनसंख्या 70.7 प्रतिशत है। इस बदलाव के परिणामस्वरूप 77 लाख नए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। स्टेट बैंक के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर, डॉ. सौम्या कांति घोष ने कहा कि नए नियमों के लागू होने से प्रति व्यक्ति दैनिक खपत में 66 रुपये की वृद्धि होगी, जिससे कुल उपभोग में 75,000 करोड़ रुपये का इजाफा होगा।
सशक्त वर्कफोर्स का निर्माण
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि नए लेबर कोड के कार्यान्वयन से कर्मचारी और उद्यम दोनों को सशक्त बनाया जाएगा, जिससे एक मजबूत और प्रतिस्पर्धी आत्मनिर्भर राष्ट्र का निर्माण होगा। भारत में 44 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं, जिनमें से 31 करोड़ ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं। यदि अनुमान लगाया जाए कि 20 प्रतिशत लोग अनौपचारिक पे रोल से औपचारिक पे रोल में स्थानांतरित होते हैं, तो इससे लगभग 10 करोड़ लोगों को लाभ होगा।
फॉर्मलाइजेशन की दर में वृद्धि
रिपोर्ट के अनुसार, पीएलएफएस डेटासेट के आधार पर, भारत में औपचारिक श्रमिकों की भागीदारी 60.4 प्रतिशत है। नए लेबर कोड के लागू होने के बाद, फॉर्मलाइजेशन रेट में 15.1 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे लेबर मार्केट का फॉर्मलाइजेशन 75.5 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।
