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भारत के प्रसिद्ध वन्यजीव संरक्षणवादी वाल्मीकि थापर का निधन

भारत के प्रसिद्ध वन्यजीव संरक्षणवादी वाल्मीकि थापर, जिन्हें 'टाइगर मैन' के नाम से जाना जाता था, का निधन हो गया। 73 वर्ष की आयु में कैंसर से जूझते हुए उन्होंने बाघों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी स्थापना की गई रणथंभौर फाउंडेशन ने स्थानीय समुदायों को संरक्षण कार्यों में शामिल किया। थापर की 30 से अधिक किताबें और वृत्तचित्रों ने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई। उनके निधन पर कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।
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भारत के प्रसिद्ध वन्यजीव संरक्षणवादी वाल्मीकि थापर का निधन

वाल्मीकि थापर का निधन

वाल्मीकि थापर का निधन: भारत के जाने-माने वन्यजीव संरक्षणवादी और लेखक, जिन्हें 'टाइगर मैन' के नाम से जाना जाता था, का शनिवार सुबह नई दिल्ली के कौटिल्य मार्ग पर उनके निवास पर निधन हो गया। उनकी उम्र 73 वर्ष थी और वे लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। उनके निधन से भारत के पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हुआ है।


बाघों के संरक्षण में समर्पित जीवन


वाल्मीकि थापर ने अपने जीवन का अधिकांश समय बाघों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा में बिताया। उन्होंने लगभग 50 वर्षों तक राजस्थान के रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में बाघों के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास किए। उनकी मेहनत और समर्पण ने रणथंभौर को बाघ संरक्षण का एक प्रमुख केंद्र बना दिया।


रणथंभौर फाउंडेशन की स्थापना


1988 में, थापर ने रणथंभौर फाउंडेशन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य स्थानीय समुदायों को संरक्षण कार्यों में शामिल करना था। उन्होंने 150 से अधिक सरकारी समितियों में भाग लिया और बाघों की सुरक्षा के लिए सख्त कानूनों की वकालत की। उनका मानना था कि बाघों के लिए मानव गतिविधियों से मुक्त प्राकृतिक क्षेत्र आवश्यक हैं।


30 से अधिक किताबें और वृत्तचित्र


उन्होंने 30 से अधिक किताबें लिखीं, जिनमें 'लैंड ऑफ द टाइगर' और 'टाइगर फायर' शामिल हैं। उनकी लिखी किताबें और वृत्तचित्र, जैसे 1997 में बीबीसी पर प्रसारित 'लैंड ऑफ द टाइगर', ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। 2024 में, उनके वृत्तचित्र 'माय टाइगर फैमिली' ने रणथंभौर में उनके 50 वर्षों के अनुभव को दर्शाया।


शोक व्यक्त करने वाले नेता


थापर के निधन पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश और मल्लिकार्जुन खड़गे ने गहरा शोक व्यक्त किया। जयराम रमेश ने कहा, 'वाल्मीकि थापर का निधन संरक्षण क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति है। उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।' उनकी पत्नी संजना कपूर और बेटे हमीर उनके परिवार में हैं। वाल्मीकि थापर का अंतिम संस्कार शनिवार को दिल्ली के लोधी शवदाह गृह में किया जाएगा। उनके कार्य और समर्पण ने न केवल बाघों की रक्षा की, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित किया।