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भारत के सांसदों की संयुक्त राष्ट्र महासभा में वापसी

नरेंद्र मोदी की सरकार में कई परंपराएं समाप्त हो गई थीं, लेकिन अब भारत के सांसदों की संयुक्त राष्ट्र महासभा में भागीदारी की परंपरा फिर से शुरू होने जा रही है। न्यूयॉर्क में होने वाली महासभा में दो प्रतिनिधिमंडल शामिल होंगे, जिसमें सांसदों को वैश्विक मुद्दों को समझने और अन्य देशों की अच्छी प्रथाओं से सीखने का अवसर मिलेगा। जानें इस यात्रा का महत्व और सांसदों की भूमिका के बारे में।
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भारत के सांसदों की संयुक्त राष्ट्र महासभा में वापसी

सांसदों की विदेश यात्रा परंपरा की पुनरारंभ

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से केंद्र सरकार में कई परंपराएं समाप्त हो गई हैं। राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ पत्रकारों की विदेश यात्रा पर रोक लग गई है। इसी तरह, सांसदों की विदेश यात्राएं भी काफी हद तक कम हो गई हैं, और अब केवल कुछ विशेष मामलों में ही ऐसी यात्राएं होती हैं। मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले, 2004 में भारत ने सांसदों को संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक बैठक में भेजना बंद कर दिया था। हालांकि, 2012 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिका गया था।


अब यह प्रतीत हो रहा है कि यह परंपरा फिर से शुरू होने वाली है। न्यूयॉर्क में चल रही महासभा की बैठक के दौरान, भारत के सांसदों के दो प्रतिनिधिमंडल वहां जाएंगे। एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भाजपा सांसद पीपी चौधरी कर रहे हैं, जबकि दूसरे का नेतृत्व डी पुरंदेश्वरी कर रही हैं। पीपी चौधरी का प्रतिनिधिमंडल आठ अक्टूबर को रवाना हुआ है और इसकी यात्रा 14 अक्टूबर तक चलेगी, जिसमें 15 सांसद शामिल हैं। पुरंदेश्वरी का प्रतिनिधिमंडल भी अक्टूबर में अमेरिका जाएगा, जिसमें भी 15 सांसद होंगे। यह बताया जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक बैठक में सांसदों की उपस्थिति से उन्हें वैश्विक व्यवस्था को समझने का अवसर मिलेगा और वे अन्य देशों में अपनाई जाने वाली अच्छी प्रथाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, जिसे भारत में भी लागू किया जा सकता है।