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भारत को वैश्विक व्यापार में अवसरों में बदलने की आवश्यकता: राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद के समारोह में भारत की वैश्विक व्यापार में भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी असाधारण क्षमताओं का उपयोग करते हुए व्यापार की चुनौतियों को अवसरों में बदलना चाहिए। उन्होंने ईईपीसी की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए, इसे वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत की स्थिति को मजबूत करने का आग्रह किया। मुर्मू ने नवोन्मेषी अर्थव्यवस्थाओं की प्रतिस्पर्धात्मकता पर भी प्रकाश डाला।
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भारत को वैश्विक व्यापार में अवसरों में बदलने की आवश्यकता: राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति मुर्मू का वैश्विक व्यापार पर जोर

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि भारत को वैश्विक व्यापार की चुनौतियों को नए अवसरों में बदलने के लिए अपनी अद्वितीय क्षमताओं का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (ईईपीसी) के प्लैटिनम जयंती समारोह में यह बात कही।


राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि ईईपीसी को इस परिवर्तन की प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए और 'राष्ट्र प्रथम' की भावना के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।


उन्होंने कहा, "हमारे देश में उपलब्ध असाधारण क्षमताओं का उपयोग करके वैश्विक व्यापार की चुनौतियों को अवसरों में बदलने की आवश्यकता है।" राष्ट्रपति ने बताया कि कम लागत पर उच्च गुणवत्ता वाली इंजीनियरिंग सेवाएं और उत्पाद भारत की एक महत्वपूर्ण ताकत हैं। पिछले एक दशक में, भारत का इंजीनियरिंग निर्यात 70 अरब डॉलर से बढ़कर 115 अरब डॉलर से अधिक हो गया है।


मुर्मू ने कहा कि पिछले दशक में अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्षेत्र में कई चुनौतियां आई हैं, इस संदर्भ में निर्यात में यह वृद्धि और भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने ईईपीसी की भूमिका को भारतीय उत्पादकों और अंतरराष्ट्रीय बाजार के बीच एक पुल के रूप में बताया।


उन्होंने ईईपीसी से वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत की भूमिका को और बढ़ाने का आग्रह किया। मुर्मू ने कहा कि विश्व व्यापार और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था में हो रहे परिवर्तनों के कारण, ईईपीसी की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।


उन्होंने कहा, "दुनिया की बड़ी कंपनियों के वैश्विक क्षमता केंद्र भारत में हैं। ईईपीसी से जुड़े सभी पक्षों को उचित प्रोत्साहन और एक अनुकूल वातावरण प्रदान कर भारत को एक वैश्विक नवोन्मेष केंद्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।"


नवोन्मेषी अर्थव्यवस्थाएं दुनिया में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी और समृद्ध होती हैं। उन्होंने ईईपीसी के सभी सदस्यों से देश में उपलब्ध प्रतिभा और ऊर्जा के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाने का संकल्प लेकर आगे बढ़ने का आग्रह किया।