भारत ने WTO को सूचित किया: अमेरिका के टैरिफ पर जवाबी शुल्क लगाने का अधिकार सुरक्षित

भारत का WTO को औपचारिक नोटिस
भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सूचित किया है कि वह अमेरिका द्वारा भारतीय ऑटो पार्ट्स पर लगाए गए 25% टैरिफ के जवाब में जवाबी शुल्क लगाने का अधिकार सुरक्षित रखता है। यह कदम WTO के 'एग्रीमेंट ऑन सेफगार्ड्स' के तहत उठाया गया है, और यह उस समय आया है जब भारत और अमेरिका एक महत्वाकांक्षी द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
व्यापार वार्ताओं पर प्रभाव
भारत ने स्पष्ट किया है कि यह कदम चल रही व्यापार वार्ताओं को प्रभावित नहीं करेगा। दोनों देश वर्तमान में पहले चरण के व्यापार समझौते को सितंबर या अक्टूबर तक पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है, जो वर्तमान में लगभग 191 अरब डॉलर है।
अमेरिकी शुल्क और भारत की कानूनी प्रतिक्रिया
अमेरिका ने 26 मार्च 2025 को Trade Expansion Act, 1974 की धारा 232 के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए भारतीय ऑटो पार्ट्स पर 25% शुल्क लगाया था। भारत ने WTO के तहत इस कार्रवाई को सेफगार्ड उपाय मानते हुए परामर्श प्रक्रिया शुरू की थी। 30 दिनों की निर्धारित परामर्श अवधि समाप्त होने के बाद, भारत ने WTO को सूचित किया है कि वह अमेरिका के सामान पर बराबर के टैरिफ लगाने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
व्यापार समझौते पर असर
भारत द्वारा WTO को दी गई यह सूचना प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन यह उस समय आई है जब दोनों देश एक अस्थायी व्यापार समझौते की घोषणा के बेहद करीब हैं। अमेरिका के पास 9 जुलाई 2025 तक इन शुल्कों को संशोधित या रद्द करने का समय है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने पुष्टि की है कि उन्होंने 10 से 12 देशों को नए reciprocal tariff rates के बारे में सूचित किया है।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का संदेश
भारत के केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया है कि भारत जल्दबाजी में कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि कोई भी समझौता तभी स्वीकार होगा जब वह पूरी तरह से अंतिम रूप ले ले, निष्कर्ष तक पहुंचे और राष्ट्रीय हित में हो। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुक्त व्यापार समझौते (FTA) तभी संभव हैं जब वे दोनों देशों के लिए फायदे का सौदा हों।
WTO के कानूनी आधार पर भारत का रुख
भारत और अमेरिका दोनों WTO के 'Agreement on Safeguards' के सदस्य हैं। यह समझौता सदस्य देशों को यह अधिकार देता है कि यदि कोई देश बिना पर्याप्त कारण के आयात पर सेफगार्ड टैरिफ लगाए, तो दूसरा देश जवाबी शुल्क या रियायतें निलंबित कर सकता है।