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भारत ने ओमान को हराकर CAFA नेशंस कप में कांस्य पदक जीता

भारत ने CAFA नेशंस कप 2025 में ओमान को पेनल्टी शूटआउट में हराकर कांस्य पदक जीता। यह जीत भारत के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि यह ओमान के खिलाफ उनकी पहली जीत है। मैच में दोनों टीमों ने निर्धारित समय में 1-1 की बराबरी की, और पेनल्टी शूटआउट में भारतीय गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू ने शानदार प्रदर्शन किया। जानें इस रोमांचक मुकाबले के बारे में और अधिक।
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भारत ने ओमान को हराकर CAFA नेशंस कप में कांस्य पदक जीता

भारत की ऐतिहासिक जीत

IND vs OMA: भारत ने सोमवार को CAFA नेशंस कप 2025 में ओमान को पेनल्टी शूटआउट में हराकर तीसरा स्थान प्राप्त किया। ओमान ने पहले दो पेनल्टी मौके गंवाए, और गुरप्रीत सिंह संधू ने अंतिम पेनल्टी को बचाकर भारत को 3-2 से जीत दिलाई। यह भारत की ओमान के खिलाफ पहली अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल जीत है।


रोमांचक मुकाबला

यह जीत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत ने 31 वर्षों में पहली बार ओमान को हराया है, जो फीफा रैंकिंग में भारत से 54 स्थान ऊपर है। मैच में दोनों टीमों ने निर्धारित समय में 1-1 की बराबरी की। ओमान ने 55वें मिनट में जमीम अल यहमादी के गोल से बढ़त बनाई, लेकिन भारत ने हार नहीं मानी। 80वें मिनट में उदंता सिंह ने शानदार हेडर से स्कोर बराबर किया। अतिरिक्त समय में भी कोई गोल नहीं हुआ, और मुकाबला पेनल्टी शूटआउट तक पहुंचा।


पेनल्टी शूटआउट में जीत

पेनल्टी शूटआउट में जीता मैच

पेनल्टी शूटआउट में भारतीय कप्तान और गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने ओमान के कप्तान हारिब अल सादी और अहमद अल काबी के शॉट्स को रोककर भारत को बढ़त दिलाई। लालियानजुआला छांगटे, राहुल भेके और जितिन एमएस ने भारत के लिए गोल किए, जबकि उदंता का शॉट चूक गया। फिर भी, गुरप्रीत की एक और शानदार बचाव ने भारत को 3-2 से जीत दिलाई। यह जीत न केवल कांस्य पदक की हकदार बनी, बल्कि भारतीय फुटबॉल के लिए एक ऐतिहासिक क्षण भी साबित हुई।


ओमान के खिलाफ 31 साल बाद पहली जीत

ओमान के खिलाफ 31 साल बाद पहली जीत

भारत और ओमान के बीच अब तक कुल 10 मुकाबले खेले गए थे, जिसमें भारत को केवल एक बार 1994 में जीत मिली थी। इसके बाद सात बार ओमान विजयी रहा, जबकि तीन मैच ड्रॉ रहे। फीफा रैंकिंग में 79वें स्थान पर काबिज ओमान के खिलाफ भारत (133वें स्थान) का यह प्रदर्शन न केवल उलटफेर था, बल्कि कोच खालिद जमील के नेतृत्व में भारतीय फुटबॉल की नई शुरुआत का प्रतीक भी है।